नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार में जातीय जनगणना की रूपरेखा तैयार कर ली है. सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव ने सभी जिलाधिकारी को पत्र लिखा है. डिजिटल मोड़ में एप से आंकड़े संग्रहित किए जाएंगे. राज्य के सरकारी शिक्षक, लिपिक, मनरेगा, आंगनबाड़ी, जीविका दीदी जातीय गणना का काम करेंगी. इन्हें प्रगणक कहा जाएगा. बिहार के गांव-गांव कस्बे-कस्बे में ये पहुंच कर जातीय गणना करेंगे. सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव डॉ. बी राजेंद्र ने सभी डीएम को पत्र लिखकर गणना कार्य में लगाए जाने वाले पदाधिकारी एवं कर्मियों के कर्तव्य व दायित्व की जानकारी दी है.
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जिलाधिकारी को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है और जिलाधिकारी के अंतर्गत अपर समाहर्ता, एसडीओ, बीडीओ, अपर नगर आयुक्त, सिटी मैनेजर, सीओ रहेंगे. जिनके पास अलग-अलग जिम्मेदारियां होंगी. प्रधान गणना पदाधिकारी के रूप में अपर समाहर्ता अपने जिले के अधीन सभी कार्यों की मॉनिटरिंग निरीक्षण व ट्रेनिंग की व्यवस्था करेंगे.
एसडीओ अपने क्षेत्र के सभी चार्ज के अधीन 6 गणना क्षेत्र पर एक पर्यवेक्षक क्षेत्र का निर्धारण और अनुमोदन करेंगे. इनके द्वारा सभी गणना क्षेत्र व पर्यवेक्षक क्षेत्रों का नक्शा तैयार कर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी मकान, कस्बा, क्षेत्र न छूटे. चार्ज अधिकारी अपने क्षेत्र के अधीन गणना और पर्यवेक्षण क्षेत्र का निर्धारण करेंगे. साथ ही नक्शे पर उसका रूपांकन मकानों की संक्षिप्त मकान सूची की तैयारी भी करेंगे.
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इन कर्मियों को गणना की गोपनीयता हर हाल में सुनिश्चित करनी होगी. डीएम प्रगणक बनाएंगे. प्रगणक गणना करने वाले इलाके का नक्शा और ले-आइट स्केच करेंगे. मकान नंबरिंग को सुनिश्चित करेंगे. मोबाइल ऐप में और प्रपत्र में आंकड़ों को भरेंगे. व्यक्तिगत आंकड़ों में किसी भी तरह के बदलाव या छेड़छाड़ नहीं करेंगे. कोई मकान, कस्बा या क्षेत्र छूटे नहीं इसका ख्याल रखेंगे.
अगर गणना के काम में कोई व्यक्ति जानबूझकर गलत जानकारी देता है या फिर जानकारी देने से इनकार करता है तो गणना कर्मी इसकी जानकारी चार्ज अधिकारी को देंगे जो वे इस संबंध में निर्धारित कार्रवाई करेंगे. अगर कोई गणना कार्य के लिए विभिन्न मकानों-स्थानों पर अंकित चित्र या सूचना हटाता है तो भी पदाधिकारी ही इस संबंध में निर्धारित कार्रवाई करेंगे.
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सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में ये भी बता दिया है कि जनगणना का काम 6 जून से शुरू हो चुका है यानी सचिवालय स्तर और इस काम को तेजी से किया जा रहा है और अब आंकड़ों को इकट्ठा किया जाना सरकार का प्रथम लक्ष्य है. एक बात तय है कि ये जातीय जनगणना बिहार के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य पर भविष्य में जरूर असर डालेगी.