बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर तस्वीरें अब पूरी तरह साफ हो चुकी है और बिहार की कैबिनेट ने इस मुद्दे पर अपनी मुहर लगा दी है. जनवरी 2023 से सूबे में जाति और आर्थिक आधार पर जनगणना की शुरूआत होगी. जनगणना की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक, बिहार में 7 जनवरी से जाति और आर्थिक गणना शुरू होगी. मकानों की गिनती के लिए 15 दिन का समय दिया जाएगा. जातिगत और आर्थिक गणना को दो चरणों में पूरा किया जाएगा. निर्धारित प्लान के तहत पहले चरण में मकानों और दूसरे चरण में लोगों की गिनती.
अधिकारियों को दी जाएगी ट्रेनिंग
जनगणना में शामिल होने वाले अधिकारियों को 15 दिसंबर को पटना में राज्य स्तरीय प्रशिक्षण दिया जाएगा. 38 जिलों के 380 अधिकारी और कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाएगा. प्रशिक्षण पानेवाले अधिकारी जिला स्तर के कर्मचारियों को प्रशिक्षण देंगे.
बीजेपी ने खड़े किए सवाल
जातिगत जनगणना को लेकर शासन और प्रशासन ने कमर कस ली है लेकिन इस बीच प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई है. जातीय जनगणना की घोषणा के साथ ही बीजेपी ने सूबे के महागठबंधन सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी है. बीजेपी ने प्रदेश सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करते हुए दावा किया है कि बिहार सरकार ने जनगणना की तैयारी नहीं की है और ना ही कोई पैमाना तय हुआ है. बिहार बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा कि जातीय जनगणना की फुलप्रूफ तैयारी नीतीश कुमार ने नही की है. कोई क्राइटेरिया तय नही, कुछ भी साफ नही, सिर्फ गणना के नाम पर गणना की जिद्द है.
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जेडीयू का बीजेपी को जवाब
वहीं,बीजेपी के आरोपों पर जेडीयू ने पलटवार किया है. जेडीयू के महासचिव गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि बीजेपी जैसी पार्टी नहीं चाहती कि देश में सभी को वाजिब हक मिले. कल तक बिहार के नेता जातीय गणना पर नीतीश कुमार के साथ थे अब उन्हें क्या हुआ? नीतीश कुमार पारदर्शी तरीके से हर काम करने के लिए जाने जाते हैं. बिहार में ताल ठोंककर जातीय गणना होगी और उसमें अब कोई दो मत नहीं.
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जातिगत जनगणना के लिए हम कटिबद्ध: कांग्रेस
जातीय गणना के ऐलान के बाद कांग्रेस ने सीएम नीतीश कुमार के साथ पूरी तरह से खड़ी रहने की बात कही है. बीजेपी के तमाम आरोपों को निराधार बताते हुए कांग्रेस प्रवक्ता प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि हमारी सरकार जातीय गणना कराने को कटिबद्ध है और हम इसके लिए पूरी तैयारी कर चुके हैं.
मिशन 2024 की तैयारी!
वार-पलटवार से इतर बात करें तो सीएम नीतीश कुमार का ये फैसला 2024 चुनाव के लिए अहम साबित हो सकता है. जातिगत जनगणना के बाद आरक्षण का दायरा भी बढ़ सकता है और इसका फायदा 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में उठाने की कोशिश सभी सियासी दल करेंगे.
जातीय जनगणना का इतिहास
- पहली बार 1931 में जातीय जनगणना कराई गई थी
- इसके बाद 1941 में भी जातीय जनगणना हुई थी
- 1941 के आंकड़ें अंग्रेज सरकार ने जारी नहीं किए
- इसके बाद आजाद भारत में 1951 में जनगणना हुई
- इस बार सिर्फ SC-ST जातियों की गणना की गई
- इसके बाद देश में आरक्षण की मांगे उठने लगी
- 1978 में बीपी मंडल आयोग का गठन हुआ
- आयोग ने 1931 के जनगणना आंकड़ों को आधार बनाकर आरक्षण तय किया
- वीपी सिंह की सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशें मानकर 27 फीसदी OBC आरक्षण लागू कर दिया
आरक्षण लागू होने के बाद भी ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. आरक्षण की सीमा 1931 में जातीय जनगणना के आंकड़ों के आधार पर तय की गई थी और इसलिए ही बार-बार जातीय जनगणना करवाने की मांग उठती रही है. अब बिहार में तो इसका रास्ता साफ हो चुका है. ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि बिहार सरकार का ये फैसला बिहार की सियासत को कौन सा नया मोड़ देगी.
HIGHLIGHTS
. 7 जनवरी से शुरू होगी बिहार में जातिगत जनगणना
. बीजेपी ने सीएम नीतीश को घेरा
. जेडीयू ने किया पलटवार
. कांग्रेस बोली-हम सरकार के साथ
Source : Shailendra Kumar Shukla