बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार (Acute encephalitis syndrome) से हो रही मौतों का आंकड़ा लागातार बढ़ता जा रहा है. वहीं सरकार की लापरवाही पर भी बच्चों के परिजनों का गुस्सा लगातार बड़ता जा रहा है. इस बीच 24 जून यानी सोमवार को इस मामले पर सुनवाई की गई. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और बिहार सरकार को आदेश दिया है कि वो कोर्ट को बताए कि इस बीमारी के चलते हो रही मौतों को चेक करने के लिए सरकार क्या कदम उठी रही है.
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने कहा, ये ऐसे नहीं चल सकता. हमे कुछ जवाब चाहिए. कोर्ट ने केंद्र. बिहार और उत्तर प्रदेश सरकार से सात दिनों के अंदर एफिडेविट जमा करने के लिए कहा है जिसमें उन्हें कोर्ट को बताना पड़ेगा कि वो चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों के स्वास्थ्य, न्यूट्रिशन, साफ-सफाई और इलाज को लेकर क्या कदम उठा रही है.
SC issues notice to Centre, Bihar & Uttar Pradesh govts asking them to file affidavits within 7 days giving details of facilities dealing with public health, nutrition and sanitation, for treatment of children suffering from Acute Encephalitis Syndrome (AES) in Muzaffarpur. pic.twitter.com/7eyytB2lQM
— ANI (@ANI) June 24, 2019
बता दें इस मामलें में सरकार की ला परवाही को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. ये याचिका वकील मनोहर प्रताप और सनप्रीत सिंह की तरफ से दाखिल की गई थी. इस याचिका में मांग की गई थी कि कोर्ट सरकार को 500 ICU का इंतजाम करने का आदेश दे. इसी के साथ ये भी अपील की गई थी कि कोर्ट सरकार से 100 मोबाईल ICU को मुजफ्फरपुर भेजे जाने और पर्याप्त संख्या में डॉक्टर उपलब्ध कराने के आदेश दे. याचिकाकर्ता ने इस मामले में जल्द से जल्द सुनवाई की मांग की थी जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले की तारीख 24 जून तय की थी. वहीं इस मामले में उत्तर प्रदेश से भी एक याचिका दाखिल की गई थी जिसमें बताया गया था कि पिछले कुछ सालों में उत्तर प्रदेश में भी इस बीमारी के चलते मौते हुई है.
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बता दें बिहार के मुजफ्फरपुर में भारी संख्या में बच्चों की मौत के पीछे की वजहों को लेकर चिकित्सक एकमत नहीं हैं. कुछ चिकित्सकों का मानना है कि इस साल बिहार में फिलहाल बारिश नहीं हुई है, जिससे बच्चों के बीमार होने की संख्या लगातार बढ़ रही है. बच्चों के बीमार होने के पीछे लीची कनेक्शन को भी देखा जा रहा है. असली वजह है हाइपोग्लाइसीमिया यानी लो-ब्लड शुगर.
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'एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम' या 'चमकी बुखार' या मस्तिष्क ज्वर से मरने वाले अधिकतर बच्चों की उम्र करीब 1 साल से 8 साल के बीच है. इस बुखार की चपेट में आने वाले सभी बच्चे गरीब परिवारों से हैं. अक्यूट इंसेफेलाइटिस को बीमारी नहीं बल्कि सिंड्रोम यानी परिलक्षण कहा जा रहा है, क्योंकि यह वायरस, बैक्टीरिया और कई दूसरे कारणों से हो सकता है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, अब तक हुई मौतों में से 80 फीसदी मौतों में हाइपोग्लाइसीमिया का शक है.