14 वर्ष के वनवास को काटकर जब भगवान राम अयोध्या वापस लौटे थे तो अयोध्या की खुशियां देखते बन रही थी. ऐसा ही एक वाक्या चतरा जिले के सिमरिया प्रखंड क्षेत्र में देखने को मिला. जहां प्रखंड के पगार गांव में एक शख्स जो 13 वर्ष की आयु में अपने घर का त्याग कर बाहर निकल गया था. जब वह शख्स 25 सालों बाद अपनी जन्मभूमि में पहुंचा तो मां और परिवार वाले सहित पूरा गांव भाव विभोर हो गया. कहावत है कि अगर सुबह का भूला शाम को वापस लौट जाए, तो उसे भूला नहीं कहते, लेकिन जब वही भूला व्यक्ति 25 वर्षों तक वापस नहीं लौटे तो क्या कहेंगे. चतरा जिले के सिमरिया प्रखंड क्षेत्र से एक ऐसा ही हैरान कर देने वाला वाक्या सामने आया है, जहां प्रखंड के पगार गांव निवासी राजेंद्र साव 13 वर्ष की उम्र में घर छोड़कर निकल गए थे. जिसके बाद से वह 25 सालों तक अपने घर नहीं लौटे.
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13 साल की उम्र में घर छोड़ कर निकला था शख्स
घर के परिजनों के द्वारा राजेंद्र के लौटने का लंबे समय तक इंतजार किया गया, लेकिन वह नहीं लौटा. जिसके बाद परिवार वाले धीरे-धीरे राजेंद्र को भूलने लग गए थे. ऐसे ही देखते-देखते 25 वर्ष बीत गया और राजेंद्र नहीं लौटा. राजेंद्र जब 25 वर्षों के लंबे समय के बाद अपने जन्मस्थान पहुंचे, तो पहले तो किसी ने नहीं पहचानने से इंकार कर दिया. इस बीच जब राजेंद्र अपनी मां से मिलने गया तो मां ने भी उसे पहचानने से इंकार कर दिया और अलग-अलग रिश्तेदारों का नाम बता कर राजेंद्र से उसका पहचान पूछने लगी. इस दौरान जब राजेंद्र ने मां को उसके बड़े बेटे होने की बात बताई तो मां की आंखों में आंसू भर गए और हाथ कांपने लगे.
25 सालों बाद माटी की आई याद तो लौटा घर
25 वर्ष पहले ही जिस शख्स को परिवार और गांव वालों ने भुला दिया था, उसे देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ उमड़ रही है. गांव वालों ने बताया कि राजेंद्र तीन भाई और एक बहन हैं, जिनमें राजेन्द्र सभी भाईयों में सबसे बड़ा है. ग्रामीण बताते हैं कि राजेंद्र महज 13 वर्ष की आयु में घर छोड़कर निकला था. जिसके बाद से वह कभी वापस नहीं लौटा था. जिसके बाद परिवार और गांव वाले समझ रहे थे कि राजेंद्र अब इस दुनिया में नहीं है.
बेटे को देख मां का छलका आंसू
वहीं, अपने घर छोड़े जाने को लेकर राजेंद्र बताते हैं कि जब वह घर छोड़कर गए थे, तो उन्हें कहां जाना है इसकी समझ नहीं थी. लिहाजा घर छोड़े जाने के बाद राजेंद्र रामगढ़, कुज्जू, बोकारो, गुजरात और मुम्बई जैसी शहरों में मेहनत मजदूरी करते थे. इसी दौरान उन्होंने वर्ष 2013 में मुंबई में एक लड़की से शादी कर ली और फिर मुंबई में ही अपना घर परिवार बसा लिया. आज राजेंद्र के दो बच्चे हैं. राजेंद्र मुंबई में मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. परिवार वालों को आश्वासन दिया है कि जल्द ही वे अपने पत्नी और बच्चों के साथ गांव में पहुंचेंगे.
HIGHLIGHTS
- 13 साल की उम्र में घर छोड़ कर निकला था शख्स
- 25 सालों बाद माटी की आई याद तो लौटा घर
- बेटे को देख मां का छलका आंसू
Source : News State Bihar Jharkhand