नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की हुई शुरुआत, जानिए देव सूर्य मंदिर कैसे सैकड़ों सालों से पत्थर पर है खड़ा

औरंगाबाद में एक ऐसा पौराणिक देव सूर्य मंदिर है जिसकी महिमा तथा उसकी गरीमा अपरम्पार है. यहां भगवान भास्कर अपने तीनों स्वरूपों में विराजमान हैं. ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी श्रद्धालु यहां सच्चे मन से भगवान भास्कर की पूजा अर्चना करता है.

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Rashmi Rani
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देव सूर्य मंदिर( Photo Credit : फाइल फोटो )

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आज से छठ पूजा की शुरुआत हो गई है. नहाय-खाय के साथ आज छठ व्रती किसी नदी या तालाब में स्नान करके छठ व्रत करने का संकल्प लेती हैं. इसके बाद कद्दू चने की सब्जी, चावल, सरसों का साग खाया जाता हैं. इसके अगले दिन खरना किया जाता है. छठ व्रत में सूर्य की पूजा की जाती है. सूर्य मंदिर में लोग पहुंचते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं. औरंगाबाद में एक ऐसा पौराणिक देव सूर्य मंदिर है जिसकी महिमा तथा उसकी गरीमा अपरम्पार है. यहां भगवान भास्कर अपने तीनों स्वरूपों में विराजमान हैं. ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी श्रद्धालु यहां सच्चे मन से भगवान भास्कर की पूजा अर्चना करता है. भगवान भास्कर उसकी आराधना जरूर पूरी करते हैं. 

बिना सीमेंट-गारा के बना है मंदिर 

औरंगाबाद की सूर्य नगरी देव स्थित प्राचीन सूर्य मंदिर ना सिर्फ लाखों करोड़ों लोगों की आस्था और विश्वाश का विराट प्रतिक है बल्कि अपनी अद्भुत स्थापत्य कला का एक अद्वितीय नमूना भी है. इस मंदिर को बिना सीमेंट-गारा के एक पथ्थर के ऊपर दूसरे पत्थर को रख कर बनाया गया है. 100 फीट ऊंचा यह मंदिर सैंकड़ों वर्षों से अडिग और निस्चल खड़ा है जो हर किसी को हैरान कर देता है. वहीं, इस मंदिर में भगवान भास्कर अपने तीनों यानी कि उदयाचल ,मध्याचल तथा अस्ताचल स्वरूपों में विराजमान हैं. 

छठ महापर्व पर विशाल मेले का होता है आयोजन 

ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी भक्त यहां आकर सच्चे मन से भगवान भास्कर की पूजा अर्चना कर जो कुछ भी मांगता है. भगवन सूर्य उसकी मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं. यही वजह है कि लोक आस्था के महापर्व छठ के मौके पर यहां विशाल मेले का आयोजन होता है. जिसमे 12 से 13 लाख श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है. यहां ना सिर्फ औरंगाबाद तथा आसपास के जिलों के बल्कि अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं और छठ व्रत का अनुष्ठान कर खुद को धन्य समझते हैं.

सूर्यकुंड तालाब में स्नान करने से कुष्ठ रोग का होता है नाश

मंदिर से लगभग 50 मीटर की दुरी पर सूर्यकुंड तालाब भी है जो अपने आंचल में अक्षुण्ण गरिमा समेटे है. इसमें स्नान करने से कुष्ठ रोग का नाश होता है साथ ही पुत्र रत्न की प्राप्ति भी होती है. छठ के मौके पर इस कुंड के चरों और श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ उमड़ती है कि इसके घाटों पर तील रखने तक को जगह नहीं मिलती है. 

छठ पूजा पर ही नहीं हर रोज आतें हैं सैंकड़ों श्रद्धालु

देव के इस प्रख्यात सूर्य मंदिर से लोगों की आस्था इतनी गहरी जुड़ी है कि सिर्फ छठ के मौके पर ही नहीं बल्कि हर रोज सैंकड़ों श्रद्धालु यहां पहुंचते है और भगवान भास्कर का दर्शन-पूजन कर खुद को धन्य मानते हैं. देव सूर्य मंदिर की ख्याति देश के कोने कोने तक है यही वजह है कि एन एच -दो के रास्ते होकर गुजरने वाला कोई भी शख्स यहां आना और भगवान भास्कर का दर्शन पूजन करना नहीं भूलता है. इससे उसे मन की शान्ति तो मिलती ही है ,उसकी  मनोकामना भी पूर्ण होती है.

HIGHLIGHTS

. सैंकड़ों वर्षों से निस्चल खड़ा है मंदिर
. महापर्व छठ पर विशाल मेले का होता है आयोजन 
. सूर्यकुंड तालाब में स्नान करने से पुत्र रत्न की होती है प्राप्ति
. श्रद्धालुओं की हर मनोकामना होती है पूर्ण

Source : News State Bihar Jharkhand

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