रोहतास जिले के सासाराम लोकसभा क्षेत्र देश का ऐसा लोकसभा क्षेत्र है जिसके अंतर्गत आने वाले लगभग 250 गांव आज भी अंधेरे में हैं. एक तरफ जहां भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जाकर पूरी दुनिया को अपना लोहा मनवा चुका है. तो वहीं, दूसरी ओर देश के कई गांव ऐसे हैं जहां बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी अब तक नहीं पहुंच पाई है. आजादी के 75 साल बाद भी यहां के लोग पेयजल, शिक्षा, मकान, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. सरकार की उपेक्षा का आलम यह है कि लोग पीने के पानी के लिए भी प्रतिदिन 10-10 किलोमीटर दूर जाते हैं. महिलाओं और बच्चे 10 किलोमीटर दूर से सर पर बड़े-बड़े बर्तनों में पानी भर कर लाते हैं. जिससे उनका खाना पीना होता है. जबकि जिस चूल्हे पर घर का भोजन बनता है उसी चूल्हे से निकली रोशनी से उनकी रातें कटती है.
विधायक भी नहीं बदल पाए गांवों की तकदीर
हालांकि चेनारी के पूर्व विधायक ललन पासवान के अथक प्रयास से कैमूर पहाड़ी के सैकड़ो गांवों में सोलर प्लेट के माध्यम से बिजली पहुंचाई गई. लेकिन कंपनी का एग्रीमेंट समाप्त होते हीं इन गांवों में बिजली गुल हो गई. अपने कार्यकाल के दौरान विधायक ललन पासवान ने विधानसभा से लेकर बिजली विभाग और वन विभाग में भी गुहार लगाई. जिसके बाद इन गांवों में सोलर प्लांट लगाए गए थे. साल 2018 में रोहतास प्रखंड के रेहल गांव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक कार्यक्रम भी आयोजित हुआ था. जहां कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि कैमूर पहाड़ी के जिन गांवों में सोलर प्लांट के माध्यम से बिजली पहुंचाई जा रही है उसे इलेक्ट्रिक में तब्दील किया जाएगा. लेकिन आज तक इन गांव में ना तो बिजली पहुंची और ना ही सोलर प्लेट के जरिए ही बिजली आपूर्ति की गई.
चूल्हे के आग की रोशनी में लोग करते है गुजर बसर
आदिवासी समाज से आने वाले रेहल गांव निवासी केश्वर उरांव का कहना हैं कि सरकार द्वारा गांव में बिजली आपूर्ति के लिए सोलर प्लांट लगाया गया था. लेकिन इससे एक साल में भी पर्याप्त बिजली नहीं मिल पाई. सोलर प्लांट बार-बार खराब हो जाता है और शिकायत करने के बाद भी कोई नहीं सुनता. हमारे पूर्वज भी अंधेरे में हीं रहते थे और आज हम लोग भी अंधेरे में ही अपना गुजर बसर कर रहे हैं. इतना ही नहीं सुरसतिया देवी नाम की महिला ने बताया कि सोलर प्लांट बहुत पहले ही खराब हो चुका है. इससे सभी घरों को भी बिजली नहीं मिलती थी. हमेशा अंधेरे में ही रहते हैं और सुखी लकड़ियां जलाकर काम चलता है. वहीं पेयजल की समस्या को लेकर जब रेहल गांव की महिलाओं से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पानी के लिए बहुत मारामारी है. कई किलोमीटर दूर जाकर पीने के लिए पानी लाना पड़ता है जिसमे घंटों लग जाते हैं.
अंधेरे के साये में करीब 250 गांव बीता रहे जिंदगी
दरअसल इस मामले को लेकर चेनारी विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रहे ललन पासवान से जब बात की गई. तो उन्होंने बताया कि जहां तक विकास का सवाल है रोहतास और कैमूर जिले के तकरीबन 250 गांव आज भी गुलामी और खानाबदोश की जिंदगी जी रहे हैं. ना बिजली है न सड़क है ना पीने का पानी है न दवाई है सभी चीजों से यहां के लोग महरूम हैं. पहली बार मेरे प्रयास से यहां सोलर प्लांट लगवाया गया लेकिन एग्रीमेंट खत्म होते हीं वह भी खत्म हो गया. मैं जब विधायक था तो विधानसभा में तसला लेकर गया और मुख्यमंत्री को बताया कि यहां के लोग चुहाडी से पानी पीते हैं. भारत में इस तरह का कोई ऐसा जगह नहीं होगा जो इतना अविकसित और गुलाम होगा. साल 2018 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ पूरी सरकार यहां आई लेकिन सिर्फ झूठे वादे किए गए.
गांवों में बिजली व्यवस्था को लेकर सरकार के दावे फेल
बता दें कि सासाराम लोकसभा क्षेत्र से कई सांसद जीतकर सरकार में आए और केंद्रीय मंत्री भी रहे. साल 2009 में तत्कालीन कांग्रेस की सरकार में लोकसभा की स्पीकर बनी मीरा कुमार भी सासाराम लोकसभा क्षेत्र से हीं जीतकर गई. लेकिन इस लोकसभा क्षेत्र के ढाई सौ गांवों की किसी ने सुध नहीं ली. पिछले दो बार से भाजपा सांसद छेदी पासवान ने भी इन गांवों का दौरा कर कई वादे किए. लेकिन सरकार में रहने के बावजूद भी पेयजल, बिजली, सड़क आदि समस्याओं के निदान की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए. जिससे यहां के लोगों का अब जनप्रतिनिधियों पर से भरोसा भी उठता जा रहा है.
HIGHLIGHTS
- आजादी के बाद भी 250 गांव में बिजली गुल
- चूल्हे के आग की रोशनी में लोग करते है गुजर बसर
- अंधेरे में जीवन जीने को 250 गांव मजबूर
- विधायक भी नहीं बदल पाए गांवों की तकदीर
Source : News State Bihar Jharkhand