UPSC lateral entry: UPSC में लेटरल एंट्री को लेकर इन दिनों विपक्ष केंद्र सरकार पर हमलावर हो रही है. इस बीच एनडीए के सहयोगी दल लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी इस पर आपत्ति जताई है. उनकी आपत्ति के बाद एनडीए की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पहले ही यूपीएससी लेटरल एंट्री का विरोध जता चुके हैं. वहीं, उनके बाद चिराग ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसी भी सरकारी नौकरी में आरक्षण का प्रावधान है और इसका प्रावधान जारी रखना चाहिए. इसमें किसी भी तरह की अगर-मगर की बात नहीं आनी चाहिए.
लेटरल एंट्री पर चिराग ने भी जताई आपत्ति
आरक्षण को लेकर मेरा मत स्पष्ट है. यह जानकारी जिस तरह से सामने आई है, उसे लेकर मैं भी चिंतित हूं और मैं भी मौजूदा सरकार का हिस्सा हूं तो मैं अपनी बात को सरकार के सामने रखूंगा. आगे बोलते हुए चिराग ने कहा कि हाल ही में जिस तरह से बिना आरक्षण के प्रावधान के नियुक्तियां की गई है, वह सही नहीं है. इस विषय को मैं सरकार के सामने उठाऊंगा. प्राइवेट क्षेत्र में आरक्षण का प्रावधान पहले से ही नहीं है और अगर हम सरकारी विभागों से भी इसे हटा देंगे तो यह चिंता का विषय है.
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जानिए क्या है लेटरल एंट्री
यूपीएससी ने हाल ही में कई विभागों में जहां पर कुछ पद खाली है, उसके लिए भर्तियां जारी की है. यूपीएससी ने संयुक्त सचिव, उप सचिव, निदेशक समेत कई पदों पर कुल 45 भर्तियां जारी की है, जिस पर लेटरल एंट्री की जाएगी. लेटरल एंट्री में अभ्यर्थी को कोई परीक्षा नहीं देना पड़ता है बल्कि कैंडिडेट का चयन इंटरव्यू के आधार पर किया जाता है. इसमें किसी प्रकार का कोई आरक्षण नहीं दिया जाता है. जिसका विपक्ष विरोध कर रही है.
विपक्ष कर रही है लेटरल एंट्री का विरोध
वहीं, सत्ताधारी सरकार ने लेटरल एंट्री पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इससे ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी. वहीं, विपक्षी दल, आरजेडी, कांग्रेस, बसपा, सपा समेत अन्य दल केंद्र सरकार पर इसे लेकर आरोप लगा रही है कि सरकार आरक्षण को खत्म करने की कोशिश कर रही है.