बिहार में मानसून की दगाबाजी किसानों के लिए आफत बन गई है. खेतों में दरारें गहरी होने लगी है और इसी के साथ अन्नदाता की चिंता भी बढ़ती जा रही है. इंद्रदेव की नाराजगी मधुबनी जिले पर भी भारी पड़ रही है. मौसम की मार के आगे अन्नदाता लाचार नजर आ रहे हैं. मिथिलांचल में इस बार सुखाड़ जैसे हालात बनते जा रहे हैं. हर साल बाढ़ से प्रभावित रहने वाला जिला मधुबनी भी इस बार पानी पानी को मोहताज हो गया है. किसानों ने किसी भी तरफ बिचड़ा तो तैयार कर लिया है, लेकिन रोपाई के लिए बोरिंग का सहारा लेना पड़ रहा है. बारिश हो नहीं रही और सरकार की ओर से कोई सुविधा फिलहाल मिली नहीं है.
सुखाड़ से किसानों में हाहाकार
ऐसे में बोरिंग से खेतों में पानी पटा कर रोपनी की जा रही है, लेकिन जिन किसानों के पास इतने पैसे नहीं है और जो बोरिंग नहीं ले पा रहे. उनके खेतों में दरारें पड़ने लगी है. जिले में प्रचंड धूप का कहर ऐसा कि पटाने के बाद भी खेतों में पर्याप्त पानी नहीं जमा हो पा रहा है. ऐसे में लगातार महंगे होते डीजल की कीमत भी किसानों को परेशान कर रही है. महंगे फ्यूल के चलते पंपसेट खरीदना किसानों को भारी पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि अगर बारिश नहीं हुई तो इस बार वो दो जून रोटी के लिए भी मोहताज हो जाएंगे.
शासन-प्रशासन से मदद की आस
मधुबनी में अब तक महज 42% फीसदी ही रोपनी संभव हो पायी है. वो फसल भी सूर्य देवता के प्रकोप से जल रही है. मौसम विभाग ने जिले में अच्छी बारिश की संभावना जताई तो थी, लेकिन बारिश नहीं हुई. अब किसानों को शासन प्रशासन से ही मदद की उम्मीद है. बिहार के ज्यादातर जिलों में इस बार धान की रोपाई पर मौसम की मार पड़ रही है. ज्यादातर खेत बंजर पड़े हैं और जहां रोपाई हो भी गई है, वो फसल भी धूप में जल रही है. जरूरत है कि सरकार की तरफ से किसानों को सिंचाई की सुविधा जल्द से जल्द दी जाए, ताकि पूरे देश का पेट भरने वाले अन्नदाता की रोटी पर मौसम की मार ना पड़े.
HIGHLIGHTS
- बारिश ना होने से किसान परेशान
- बोरिंग से सिंचाई कर रहे किसान
- शासन-प्रशासन से मदद की आस
Source : News State Bihar Jharkhand