प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की गवर्निग काउंसिल की छठी बैठक में शनिवार को वीडियो कन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) शामिल हुए. बैठक में मुख्यमंत्री ने जहां गन्ना रस से एथेनॉल उत्पादन प्रारंभ किए जाने पर प्रसन्न्ता व्यक्त की वहीं बिजली आपूर्ति के लिए सभी राज्यों की एक दर (रेट) करने की मांग की. नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्र सरकार के प्लांटों के माध्यम से जो अलग-अलग राज्यों में बिजली जाती है, उसका रेट भी अलग-अलग है. इसके लिए एक नीति बननी चाहिए यानी 'वन नेशन, वन रेट' हो. उन्होंने कहा कि हमलोगों को बिजली काफी महंगी मिलती है, जिससे लोगों को राज्य सरकार की तरफ से ज्यादा अनुदान देना पड़ता है. पूरे देश के लिए एक नीति कर दी जायेगी तो काफी अच्छा होगा.
नीतीश ने कहा कि बिजली के क्षेत्र में हमलोगों ने कई काम बिहार में शुरू किए हैं. वर्ष 2018 के अक्टूबर महीने में ही हर घर बिजली हमलोगों ने पहुंचा दी है. उन्होंने कहा कि लोगों को कम कीमत पर बिजली मुहैया हो इसके लिए हमलोग कोशिश कर रहे हैं. प्री-पेड स्मार्ट मीटर लगाना हमलोगों ने शुरू कर दिया है। अब केंद्र सरकार भी इसे लागू कर रही है, इससे काफी फायदा होगा.
नीतीश ने कहा कि बिजली का दुरुपयोग होने से पर्यावरण पर भी संकट उत्पन्न होता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योगों को बढ़ावा देने का प्रयास बहुत ही जरूरी है. उन्होंने कहा कि उद्योगों को बढ़ावा देने को लेकर 15 सालों से हमलोग प्रयासरत हैं. हमलोगों ने वर्ष 2011 से ही कहा है कि उड़ीसा में एक अलग बंदरगाह की सुविधा उपलब्ध करा दी जाए तो बिहार से किसी चीज को भेजने में सहूलियत होगी. इस प्रस्ताव को हमने पिछले 10 वर्षो में कई बार रखा है. इस पर ध्यान दिया जाए तो काफी अच्छा होगा.
मुख्यमंत्री ने प्रत्येक पंचायत में बैंक की एक शाखा खोलने की भी मांग रखी. मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे बहुत ही अच्छा लगा है कि एथेनल के उत्पादन की बात हो गई है. हमलोगों ने वर्ष 2007 में ही एथेनल के उत्पादन के लिए एक्ट में बदलाव करके केंद्र सरकार को भेजा था. तत्कालीन केंद्र सरकार ने इसको स्वीकार नहीं किया था, लेकिन अब पूरी बात हो गई है. अब गन्ना के रस से भी एथेनल का उत्पादन होगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कृषि से संबंधित जो तीन एक्ट लाए गए हैं, वह किसानों के हित में हैं। यह किसानों के खिलाफ नहीं हैं. पहले भी नीति आयोग की बैठक में एपीएमसी एक्ट में संशोधन करने को लेकर जो प्रस्ताव आया था, तब भी हमने कहा था कि बिहार में तो एपीएमसी एक्ट हमलोगों ने वर्ष 2006 में ही बंद कर दिया है. पहले लोगों को अपना सामान बेचने में दिक्कत होती थी. जब हमलोगों ने एक्ट को समाप्त कर दिया तब सामान बेचने में किसानों को किसी प्रकार की समस्या नहीं होने लगी.
Source : News Nation Bureau