बिहार विधानसभा में कांग्रेस के विधानमंडल दल के नेता और भागलपुर से विधायक अजीत शर्मा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को शराबबंदी कानून को निरस्त करने की सलाह दी है. इस बाबत उन्होंने पत्र लिख कर कहा है कि राज्य में शराबबंदी कानून की समीक्षा करने का वक्त आ गया है और उसे अब निरस्त किया जाए.
कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि शराबबंदी कानून अवैध धन अर्जन करने का एक साधन बन गया है. राज्य में अब शराब दुकानों से निकल कर लोगों के घर घर तक पंहुच गयी है. शराबबंदी कानून होने के बावजूद शराब की होम डिलीवरी हो रही है. उन्होंने कहा, 'बिहार में 2016 से शराब बंदी कानून लागू है, उस वक्त कांग्रेस पार्टी भी आपके साथ थी, तब पार्टी ने अच्छा काम समझकर आपका भरपूर समर्थन किया था. लेकिन साढ़े 4 वर्षों में देखने में आया कि शराबबंदी सिर्फ कहने को हकीकत में बिहार में लागू ही नहीं है'. उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि शराब के अवैध धंधे में न सिर्फ शराब माफिया बल्कि पुलिस-प्रशासन नौकरशाह और कुछ राजनीतिज्ञ भी सम्मिलित हैं.
कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजीत शर्मा ने पत्र में लिखा है कि जिस आशा के साथ शराब बंदी लागू की गई थी वह सफल होते हुए नहीं दिख रही है. अब शराब के होम डिलीवरी धंधे में कम उम्र के लड़के- लड़कियां भी पढ़ाई छोड़कर लग गए हैं. इस कानून से गरीब परिवार आर्थिक बोझ तले दब गया है क्योंकि अब 2 से 3 गुना अधिक कीमत पर शराब खरीद कर लोग पी रहे हैं. साथ ही लाइसेंसी दुकानों में शराब नहीं बिकने के कारण नकली- जहरीली शराब की होम डिलीवरी की संभावना बढ़ गई है.
कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा ने राजस्व बोझ का हवाला दे कर लिखा है कि शराबबंदी से बिहार को चार से पांच हजार करोड़ रुपए के राजस्व की क्षति हो रही है. उन्होंने आगे लिखा कि राजस्व क्षति के मद्देनजर शराबबंदी कानून की समीक्षा कर शराब की कीमत दोगुनी-तीनगुनी करते हुए शराबबंदी को समाप्त किया जाए और प्राप्त राशि से कारखाना खोला जाए. ताकि अवैध धंधा पर रोक लग सके और राजकोष में धन आने से बेरोजगारों को रोजगार देना भी संभव हो सके.
Source : News Nation Bureau