वक्फ अधिनियम में संशोधन की चर्चा जोरों पर है. केंद्र सरकार अगले हफ्ते संसद में वक्फ अधिनियम में संशोधन के लिए बिल ला सकती है. इससे पहले इस पर सियासत भी तेज हो चली है. असदुद्दीन ओवैसी के बाद अब बिहार में भी इसको लेकर राजनीति शुरू हो गई है. पटना में कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है. केंद्र सरकार द्वारा वक्फ बोर्ड के अधिकारों में संशोधन बिल लाने को लेकर शकील अहमद खान ने कहा कि बीजेपी देश में शांत माहौल नहीं देखना चाहती है.
देश में शांति का माहौल कैसे बिगड़े ऐसे मुद्दों पर विवाद पैदा करना ही बीजेपी का काम है.अल्पसंख्यकों के साथ जो माहौल है उनसे सवाल अल्पसंख्यक समाज पूछ रहा है. जो अल्पसंख्यकों और संविधान को बचाने का दम भरते हैं. जदयू हो या रामविलास पासवान की पार्टी या जीतन राम मांझी सभी लोग इस मुद्दे पर चुप हैं. जबकि ये सभी लोग खुद को सेकुलर बताते हैं. संसद में इस बिल का विरोध विपक्ष पूरजोर तरीके से करेगा.
वक्फ का मतलब दान होता है- शकील अहमद
शकील अहमद खान ने इस्लाम में वक्फ का मतलब भी समझाया. उन्होंने कहा कि वक्फ का मतलब दान होता है दान किए गए जमीन से कई सामाजिक काम चलाते हैं वक्फ के द्वारा वक्फ बोर्ड का मतलब दान बोर्ड होता है.अल्पसंख्यक पुरखों के दान की जमीन को बीजेपी हड़पना चाहती है. बीजेपी बोर्ड में संशोधन कर अल्पसंख्यक समाज के सामाजिक सहायता के कार्य को रोकना चाहती है. बीजेपी अल्पसंख्यक समाज को बेइज्जत करने का काम कर रही है. देश में महंगाई गरीबी और किसाने की आर्थिक स्थिति में सुधार करने को लेकर तो कोई बिल नहीं लाना चाहती, लेकिन देश के सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के लिए पार्टी इस तरह का बिल लाना चाहती है.
वक्फ बोर्ड के पास अगर कोई जमीन गई तो वापस लाना मुश्किल
बता दें कि 1995 में वक्फ बोर्ड में पहला संशोधन कांग्रेस शासनकाल में हुआ था. इसके बाद दूसरा संशोधन 2013 में किया गया. इसमें कई ऐसी शक्तियां हैं जिससे वक्फ बोर्ड बेजा इस्तेमाल कर सकता है. एक बार जब कोई जमीन वक्फ के पास चली जाती है तो उसे पलट नहीं सकते. इसलिए केंद्र सरकार वक्फ अधिनियम में संशोधन लाने की योजना बना रही है.