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भागलपुर में 'खून की होली', 20 दिन में 6 हत्याएं, पुलिस के हाथ खाली

सिल्क सिटी के नाम से मशहूर भागलपुर इन दिनों चर्चाओं में हैं. जिले में हर दिन खून की होली जो खेली जा रही है.

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Jatin Madan
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भागलपुर में इन दिनों अपराधियों का बोल बाला है.( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

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सिल्क सिटी के नाम से मशहूर भागलपुर इन दिनों चर्चाओं में हैं. जिले में हर दिन खून की होली जो खेली जा रही है. पुलिस एक अपराध के मुकाम तक पहुंच भी नहीं पाती कि दूसरी घटना घट जाती है. भागलपुर में इन दिनों अपराधियों का बोल बाला है. हत्याओं की खबरें हर दिन सुर्खियां बटोरती है. एक तरफ प्रशासन जहां अपने काम को लेकर बड़े-बड़े दावे ठोकती है तो वहीं दूसरी ओर जिले में हत्याओं और लूट की खबरों ने आम जनमानस का जीना मुहाल कर दिया है.

31 अगस्त
संजीव कुमार( पंचायत सचिव)
गोली मारकर हत्या

1 सितंबर
अंजू देवी
पीट-पीटकर हत्या

4 सितंबर 
गौतम मल्ली (निगम कर्मी)
हत्या

8 सितंबर 
गार्ड 
गला रेतकर हत्या

14 सितंबर
मोहम्मद अफजाल(सिल्क कारोबारी)
गोली मारकर हत्या 

आंकड़ों से साफ है कि बिहार पुलिस अपराधियों पर कितनी कार्रवाई करती है. जिले में कानून व्यवस्था का खौफ मानों खत्म हो चुका है. आलम ये है कि सिर्फ 20 दिनों के अंदर यहां 6 हत्याओं की घटनाएं सामने आई है. इन घटनाओं ने न सिर्फ जिला पुलिस बल्कि बिहार पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. इन हत्याओं की आग अभी थमी भी नहीं कि कुतुबगंज के अमरेंद्र सिंह नाम के शख्स की गोली मारकर हत्या कर दी गई. अमरिंदर सिंह जमीन व्यवसाय से जुड़े थे. मरने वाले के बेटे का कहना है कि अमरिंदर की हत्या उनके बांजे ने दूसरे लोगों के साथ मिलकर की है. बेटे का कहना है कि कुछ दिन पहले करकु यादव ने उनके घर पर गोली चलाई थी और रंगदारी भी मांगी थी. 

मामले को लेकर पुलिस में शिकायत की गई, लेकिन आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. आरोपियों ने अमरिंदर सिंह की हत्या कर दी. अमरेंद्र सिंह ने हत्या से पहले अपने परिवार के जान माल की सुरक्षा को लेकर बबरगंज थाने में आवेदन भी दिया था. जिसमें साफ तौर पर लिखा था कि करकु यादव और उनके साथी उन्हें जान से मारने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन आवेदन के बाद भी पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही. हालांकि हत्या हो जाने के बाद पुलिस कार्रवाई का आश्वासन जरूर दे रही है.

इस बयान ने पूरे पुलिसिया सिस्टम पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है. सवाल ये कि लोग अपराधियों के डर से पुलिस की सुरक्षा लेते हैं, लेकिन अगर पुलिस ही इस तरह का बर्ताव करें तो आम जनता कहां जाएगी. भागलपुर में लगातार हो रही इन घटनाओं से लोगों में इस कदर दहशत है कि आम लोगों का घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है, लेकिन अपराधियों पर नकेल कस पाना प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है.

रिपोर्ट : आलोक कुमार झा

Source : News Nation Bureau

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