श्रावण मास की तीसरी सोमवारी को लेकर भागलपुर व उसके आसपास के सभी शिवालयों में तड़के सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. बूढ़ानाथ मंदिर, भूतनाथ मंदिर, शिवशक्ति मंदिर, मनसकामना नाथ मंदिर, गोनूधाम के अलावा सभी शिवालयों में श्रद्धालुओं का जलाभिषेक करने के लिए तांता सा लगा हुआ है. बताते चलें कि सभी शिवालयों को रंग रोगन कर, फूल पत्तियों से सजाया गया है और शाम में महा आरती का कार्यक्रम भी किया जा रहा है.
ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव की पत्नी देवी सती ने जब अपने पिता के घर पर अपने पति शिव का अपमान होते देखा तो वह बर्दाश्त नहीं कर पाई और राजा दक्ष के यज्ञ कुंड में अपनी आहुति दे दी. इसके बाद उन्होंने हिमालय पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया. पार्वती के रूप में भी उन्होंने भगवान शिव को ही अपना वर चुना. भगवान शिव की प्राप्ति के लिए पार्वती ने कठोर तप किया.
सावन के महीने में ही भगवान शिव उनके तप से प्रसन्न होकर प्रकट हुए और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया. इसके बाद पार्वती का भगवान शिव के साथ विवाह हुआ. तब से यह पूरा सावन माह शिव और पार्वती दोनों का प्रिय माह बन गया. सोमवार का दिन महादेव और मां पार्वती को समर्पित होता है. ऐसे में उनके प्रिय महासावन में पड़ने वाले सोमवार का महत्व कहीं ज्यादा बढ़ जाता है.
इसलिए आज ज्यादा से ज्यादा कावरिया भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक करते हैं और ऐसी मान्यता है कि सावन माह के सोमवार को पूजन व जलाभिषेक करने से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है.
Source : News Nation Bureau