शेखपुरा की शान मानी जाने वाली 'अनारकली' नामक मादा हथिनी की उसके महावत मो फईमउद्दीन के घर पर आकास्मिक मौत हो गई. हाथी की मौत से पूरे जिले में गम का माहौल छा गया. अनारकली की अंतिम संस्कार सदर प्रखंड के मेंहुस गांव में किया गया. दरअसल, अनारकली कोई और नहीं बल्कि जिले की एकमात्र हथिनी थी. पिछले 45 वर्षों से यह मेंहुस गांव निवासी और जाने माने किसान सूर्यमणि सिंह के घर की शोभा बढ़ा रही थी. रविवार की देर रात्रि अचानक उसकी मौत होने से महावत और मालिक का पूरा परिवार भी सदमे में है. अनारकली ना केवल उक्त गांव की बल्कि वर्तमान में शेखपुरा जिला के लिए भी शान की बात थी. जानकारी के मुताबिक सूर्यमणि सिंह को यह हाथी उनके विवाह के वक्त वर्ष 1978 में उनके ससुर और लखीसराय जिला के दरियापुर निवासी रहे स्व शंभू शरण सिंह से दहेज में मिला था.
तब से ही सूर्यमणि सिंह के परिवार में अनारकली भी एक सदस्य की तरह रह रही थी. परिवार वालों को अनारकली से इतना लगाव था कि थोड़ी सी भी तबीयत खराब होने पर पूरा घर मायूस हो जाता था. ऐसे में उसकी आकस्मिक मौत ने पूरे परिवार को अंदर से हिला कर रख दिया है. जानकारी के मुताबिक कुछ महीने पहले हाथीखाना में एक सांप घुस जाने की वजह से वह लगातार अपने आप को असहज महसूस कर रही थी. कुछ दिनों से बीमार रहने की वजह से उसे रविवार की रात्रि मन बहलाने के लिए महावत मिल्कीचक लाया था, जहां रात में ही सोई हुई मुद्रा में उसकी मौत हो गई.
लगभग 62 वर्षीय मो फईमउद्दीन शुरू से ही इसका एकमात्र महावत के रूप में रखवाली करता रहा. फिलहाल मेहूस गांव से सूर्यमणि सिंह का पूरा परिवार और बड़ी संख्या में ग्रामीण उसके शव को क्रेन की सहायता से उठाकर मेहूस गांव ले गए, जहां उसके पार्थिव शरीर के दर्शन हेतु हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी. ग्रामीणों का कहना है कि अनारकली शुरू से अब तक गांव के किसी भी बच्चे या अन्य व्यक्ति के साथ पशुवत व्यवहार नहीं किया. गांव के बच्चे अकसर अनारकली के साथ खेलते थे और उसके ऊपर जाकर बैठते थे.
अनारकली काफी शांत स्वभाव की थी. हथिनी की शोभायात्रा गांव में बैंड बाजों के साथ निकाली गई. बाद में हाथीखाना और सूर्यमणि सिंह के दालान के निकट जमीन में गड्ढा खोदकर उसमें हिंदू रीति रिवाज के साथ दफनाया गया. अतिम संस्कार के समय हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ जमी थी. अनारकली की मौत के बाद पूरा जिला अपने आप को आहत महसूस कर रहा है. बता दें कि शेखपुरा, नालंदा, नवादा सहित आसपास के कई जिलों में किसी राजा-राजवाड़े या बड़े किसान के पास हाथी नहीं है. लोगों के मुताबिक निकट के पिपरिया, लखीसराय में एक हाथी को छोड़कर आसपास के जिलों में कोई पालतू हाथी नहीं है.
Source : News State Bihar Jharkhand