जातीय गणना पर पटना हाई कोर्ट में सुनवाई हो चुकी है और आज कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी. पिछले दो दिनों से दोनों ही पक्ष अपना दलील पेश कर रहे थे. बहस के दौरान ये कहा गया था कि किसी भी सरकार को अपने राज्य में गणना करने का अधिकार है. इस गणना में पिछड़े लोगों समेत जन्म और मृत्यु की भी गणना होती है और सरकरी योजनाओं का लाभ लेने के लिए लोग अपनी जाति बताने को तैयार रहते हैं. पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार से कई सवाल भी पूछे हैं.
कई सवाल बिहार सरकार से पूछे गए
बिहार सरकार से पूछा गया है कि क्या आर्थिक सर्वेक्षण कराना कानूनी बाध्यता है? इसे कराने के पीछे सरकार का क्या उद्देश्य है. ऐसे कई सवाल किए गए हैं. जिसका जवाब महाधिवक्ता पीके शाही ने दिया है. दलील में ये कहा गया कि जन कल्याण की योजनाओं के लिए इसे कराया जा रहा है. राज्य में जातीय गणना कराने के लिए बिहार विधानसभा और विधान परिषद से प्रस्ताव पारित हुआ था. जिसके बाद ही इससे कराया जा रहा है.
टैक्स के पैसों की हो रही है बर्बादी
दूसरी तरफ याचिकाकर्ताओं द्वारा कहा गया है कि सरकार के पास जातीय गणना कराने का अधिकार नहीं है. बिहार सरकार ऐसा करके संविधान का उल्लंघन कर रही है. इस गणना में लोगों से उनकी जाति के साथ साथ उनके कामकाज की भी जानकारी ली जा रही है. जो कि उनके गोपनीयता के अधिकार का हनन है. वहीं, याचिका में ये भी कहा गया है कि जातीय गणना में खर्च हो रहे 500 करोड़ रुपए जनता के टैक्स के पैसों की बर्बादी है.
पटना हाई कोर्ट सुनाएगी फैसला
आज इस मामले में पटना हाई कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी. जिसका सभी को इंतजार है कि आखिर फैसला किसके पक्ष में आएगा. आपको बता दें कि जनवरी महीने में जातीय गणना की शुरुआत हुई थी. पहले चरण में मकानों की गिनती की गई थी और दूसरे चरण में अब लोगों के घर घर जाकर उनसे उनकी जाति पूछी जा रही है. दूसरे चरण की गणना को 15 मई तक खत्म कर लिया जाएगा.
HIGHLIGHTS
- पटना हाई कोर्ट में हो चुकी है सुनवाई
- पटना हाई कोर्ट आज सुनाएगी अपना फैसला
- टैक्स के पैसों की हो रही है बर्बादी - याचिकाकर्ता
Source : News State Bihar Jharkhand