दिल्ली हाई कोर्ट ने एलजेपी के संस्थापक रामविलास पासवान के बेेटे चिराग पासवान को बड़ा झटका दिया है. चिराग पासवान ने अपने चाचा और वर्तमान एलजेपी अध्यक्ष पशुपति पारस को लेकर एक याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में डाली थी जिसमें उन्होंने पशुपति पारस के एलजेपी अध्यक्ष बनाए जाने के लोकसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती दी थी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने चिराग पासवान की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि, चिराग की इस याचिका में दम नहीं है. चिराग की याचिका में लोकसभा अध्यक्ष के पशुपति पारस को लोक जन शक्ति पार्टी के नेता के रूप में नामित करने के आदेश को चुनौती दी गई थी.
इसके पहले जब मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार हो रहा था तब चिराग पासवान ने पशुपति पारस को मंत्री बनाए जाने को लेकर आपत्ति जताई थी, उन्होंने ट्वीटर लिखा था, प्रधानमंत्री जी के इस अधिकार का पूर्ण सम्मान है कि वे अपनी टीम में किसे शामिल करते हैं और किसे नहीं. लेकिन जहां तक LJP का सवाल है पारस जी हमारे दल के सदस्य नहीं हैं. पार्टी को तोड़ने जैसे कार्यों को देखते हुए उन्हें मंत्री,उनके गुट से बनाया जाए तो LJP का कोई लेना देना नहीं है.
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पार्टी विरोधी और शीर्ष नेतृत्व को धोखा देने के कारण लोक जनशक्ति पार्टी से पशुपति कुमार पारस जी को पहले ही पार्टी से निष्काषित किया जा चुका है और अब उन्हें केंद्रीय मंत्री मंडल में शामिल करने पर पार्टी कड़ा ऐतराज दर्ज कराती है. जिसके बाद चिराग पासवान ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हालांकि ये याचिका पशुपति पारस को केंद्रीय मंत्री बनाने के खिलाफ नहीं है बल्कि उन्हें लोकसभा में लोजपा संसदीय दल का नेता बनाने के लोकसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ थी.
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चिराग पासवान ने ट्वीटर पर लिखा था, लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा पार्टी से निकाले गए सांसदों में से पशु पतिपारस को नेता सदन मानने के बाद लोक जनशक्ति पार्टी ने माननीय लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष उनके फ़ैसले पर पुनः विचार याचिका दी थी जो अभी भी विचाराधीन है. लोक जनशक्ति पार्टी ने माननीय लोकसभा अध्यक्ष के प्रारम्भिक फ़ैसले जिसमें पार्टी से निष्कासित सांसद पशुपति पारस जी को लोजपा का नेता सदन माना था के फ़ैसले के ख़िलाफ़ दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी.
HIGHLIGHTS
- चिराग पासवान को दिल्ली हाई कोर्ट से झटका
- चिराग की याचिका में दम नहींः दिल्ली हाई कोर्ट
- चिराग ने लोकसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती दी थी