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बिहार के कई जिलों में डेंगू की एंट्री, स्वास्थ्य महकमे की तैयारी आधी-अधूरी, जानिए बचाव के उपाय

पटना समेत कई जिलों में डेंगू का प्रकोप देखने को मिल रहा है और अब लखीसराय जिले में भी डेंगू की एंट्री हो चुकी है, लेकिन सदर हॉस्पिटल में डेंगू का इलाज करने का कोई इंतजाम नहीं है.

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Jatin Madan
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फाइल फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)

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पटना समेत कई जिलों में डेंगू का प्रकोप देखने को मिल रहा है और अब लखीसराय जिले में भी डेंगू की एंट्री हो चुकी है, लेकिन सदर हॉस्पिटल में डेंगू का इलाज करने का कोई इंतजाम नहीं है. छोटी-छोटी बीमारी होने पर भी मरीजों को पटना रेफर कर दिया जाता है. इतना ही नहीं सदर अस्पताल के कर्मचारी मरीजों को बहला फुसलाकर निजी क्लिनिक में भी भर्ती करा दे रहे हैं. राजधानी पटना में डेंगू अपना कहर बरपा रहा है तो वहीं अब दूसरे जिलों में भी डेंगू डंक मारने लगा है. लखीसराय में भी डेंगू ने एंट्री कर ली है और डेंगू के पहले शिकार हलसी प्रखंड के शिवसोना गांव निवासी अमरनाथ कुमार हैं, लेकिन स्वास्थ्य महकमें की लापरवाही देखिए. डेंगू पीड़ित अमरनाथ का इलाज सदर अस्पताल के जनरल वार्ड में आम मरीजों के साथ किया गया और फिर मरीज का इलाज उसके घर पर किया जाने लगा, यानि अस्पताल में किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं है.

वहीं, सदर अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उसके यहां डेंगू के मरीज के लिए अलग से वार्ड बनाए गए हैं और आठ बेड भी वार्ड में हैं. बेशक सदर अस्पताल का प्रंबंधन अस्पताल में डेंगू का इलाज करने के सभी व्यवस्थाओं के होने का दावा कर रहा है, लेकिन हकीकत कुछ और है. इतना ही नहीं सदर अस्पताल के कुछ कर्मचारी तो दलाली का भी काम कर रहे हैं और कमीशनबाजी के चक्कर में मरीजों को प्राइवेट हॉस्पिटल में भी उपचार के लिए भेज रहे हैं. आरोप है कि 3 दिन पहले डेंगू के संभावित मरीज को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन सदर अस्पताल के कर्मियों की मिलीभगत से उसे इलाज के लिए निजी क्लीनिक भेज दिया गया था. 

डेंगू के लक्षण
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द 
शरीर पर पड़ने वाले लाल निशान
लाल निशान बाद ठीक होने के बाद फिर आना  
बरसात के मौसम में तेज बुखार 
सिर में बहुत तेज दर्द होना 
आँखों के पीछे दर्द होना भी लक्षण 
उल्टी आना और चक्कर महसूस होना 

डेंगू से बचाव के उपाय
स्वच्छता का हमेशा ध्यान रखें
घर के आसपास सफाई रखें
पानी को किसी जगह जमा ना होने दें
बर्तनों में लंबे समय पानी नहीं रखें
बर्तनों में पानी को नियमित रूप से बदलें
गमलों के पानी को भी हर हफ्ते बदलते रहें
मेनहोल, सेप्टिक टैंक, रुकी हुई नालियाों की सफाई 
मच्छर मारने वाली मशीन और जाली का उपयोग करें.
सोने से पहले मच्छरदानी जरूर लगायें.
प्रारंभिक लक्षणों को अनदेखा न करें.

रिपोर्ट : अजय झा

Source : News State Bihar Jharkhand

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