बिहार कृषि निवेश प्रोत्साहन नीति-2020 की नई नीति को मंजूरी मिल गई है. इसके तहत बिहार में किसानों की हालत में सुधार होगा. उनको कृषि करने में परेशानी का समाना नहीं करना होगा. बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सरकार सौर ऊर्जा आधारित कृषि पम्प को प्रोत्साहित करेगी. उन्होंने कहा कि किसान सौर ऊर्जा पैनल से उत्पादित अतिरिक्त बिजली विद्युत कंपनियों को बेचकर अन्नदाता के साथ-साथ ऊर्जादाता भी बनेंगे. बीजेपी किसान मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति के वर्चुअल सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान उपमुख्यमंत्री मोदी ने कहा कि डेडिकेटेड कृषि फीडर द्वारा अब तक राज्य के 1 लाख 42 हजार किसानों को कृषि कनेक्शन दिया जा चुका है.
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65 पैसे प्रति यूनिट बिजली बिल
डिप्टी सीएम ने कहा कि किसानों से प्रति यूनिट 6.15 रुपये लागत की बिजली के लिए मात्र 65 पैसे लिया जा रहा है. 5. 50 रुपये सरकार की ओर से दिया किया जा रहा है. उन्होंने कहा, अगले कार्यकाल में राज्य सरकार सौर ऊर्जा आधारित कृषि पम्प को प्रोत्साहित करेगी. किसान सौर ऊर्जा पैनल से उत्पादित अतिरिक्त बिजली विद्युत कम्पनियों को बेच कर अन्नदाता के साथ-साथ ऊर्जादाता भी बनेंगे. सुशील कुमार मोदी ने कहा कि खेती की लागत कम करने के लिए ही डीजल से सिंचाई की जगह बिजली को प्राथमिकता दी गई है. एक कट्ठा जमीन की सिंचाई में डीजल से जहां 20 रुपये की लागत आती थी, वहीं बिजली से मात्र 82 पैसे के खर्च पर सिंचाई हो जाती है.
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औद्योगिक प्रोत्साहन नीति-2016 के तहत मिलेगा लाभ
बिहार कृषि निवेश प्रोत्साहन नीति-2020 की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि नई नीति को स्वीकृति दी गई है. जिससे कृषि व्यवसाय से जुड़े सात क्षेत्रों मखाना, फल-सब्जियां, शहद, औषधि व सुगंधित पौधे, मक्का, चाय और बीज आदि के प्रसंस्करण के लिए 25 लाख से 5 करोड़ तक के निवेश पर 15 से 25 प्रतिशत तक पूंजीगत अनुदान व 30 प्रतिशत ब्याज अनुदान के साथ ही औद्योगिक प्रोत्साहन नीति-2016 के तहत अन्य लाभ दिए जा सकेंगे.
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फसल नुकसान के लिए अनुदान
सुशील कुमार मोदी ने कहा, इसके साथ ही राज्य सरकार ने 2019-20 में 33 लाख 71 हजार किसानों को फसल क्षति अनुदान के तौर पर 1,220 करोड़ रुपये का वितरण किया है, जिससे औसतन प्रति किसान को 4,400 रुपये प्राप्त हुआ है.
Source : IANS/News Nation Bureau