देश के 51 शक्तिपीठों में शुमार पटना के पटनदेवी मंदिर का इतिहास सैंकड़ों साल पुराना है. इसे शक्ति की अराधना का प्रमुख केंद्र माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार महादेव के तांडव के दौरान सती के शरीर के 51 खंड हुए. ये अंग जहां-जहां गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ की स्थापना की गई. कहा जाता है कि पटनदेवी मंदिर जहां हैं वहां सती की दाहिनी जांघ गिरी थी. इस भव्य मंदिर में काले पत्थर की बनी महाकाली की प्रतिमा है. महालक्ष्मी और महासरस्वती के साथ भैरव की प्रतिमा भी है.
देवी की तीन मूर्तियां स्थापित
इस मंदिर के पीछे एक बहुत बड़ा गड्ढा है, जिसे 'पटनदेवी खंदा' कहा जाता है. कहा जाता है कि यहीं से निकालकर देवी की तीन मूर्तियों को मंदिर में स्थापित किया गया है. बड़ी पटन देवी मंदिर भी शक्तिपीठों में से एक है. नवरात्रि के अलावा भी हर दिन इस मंदिर में श्रद्धालुओं की कतार देखने लायक होती है. कहता जाता है कि अगर यहां सच्चे मन से मन्नत मांगे तो मां जरूरी पूरी करती है.
दूर-दराज से आते हैं लोग
इस मंदिर में सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि अलग-अलग राज्यों और दूर-दराज से भी लोग आते हैं. मंदिर के महंत की मानें तो हर रोज यहां माता के चलने की आहट भी महसूस होती है. महंत कहते हैं कि यहां माता की दाहिनी जांघ हिरी थी इसलिए मंदिर में माता के पायल की भी आवाज सुनाई देती है. माता पटना की रक्षा करती है. यहां का इतिहास जितना पुराना है उतना ही भव्य ये मंदिर भी है. हालांकि हमेशा से ये मंदिर ऐसा नहीं था. शुरुआत में मंदिर आकार में काफी छोटा था, लेकिन समय के साथ लोगों के सहयोग से अब मंदिर भव्य रूप ले चुका है.
रिपोर्ट : सनी कुमार
HIGHLIGHTS
- आस्था का केंद्र पटनदेवी मंदिर
- जहां गिरी थी देवी सती की दाहिनी जांघ
- 51 शक्तिपीठों में शुमार है मंदिर
- मंदिर का इतिहास सैंकड़ों साल पुराना
Source : News State Bihar Jharkhand