फर्जी कॉल मामले में घिरते जा रहे हैं बिहार के डीजीपी एसके सिंघल ने आज पहली बार अपना बयान दिया है. एसके सिंह ने बयान देते हुए कहा कि इसे तिल का ताड़ बनाया जाए. समय आने पर मैं हर बिंदु का जवाब दूंगा क्योंकि यह मामला बहुत ही गंभीर मामला है और इसकी जांच चल रही है. समय आने पर इसका खुलासा भी होगा. विपक्ष द्वारा मुद्दे बनाए जा रहे हैं पर बीजेपी ने कहा कि हमें इससे कोई मतलब नहीं है. हम अधिकारी हैं और काम कर रहे हैं. आर्थिक अपराध इकाई द्वारा जांच की जा रही और उठ रहे सवाल को लेकर बीजेपी ने कहा कि हमारे पुलिस विभाग सक्षम है और पूरी ईमानदारी से जांच कर रहे हैं. बता दें कि फर्जी कॉल डिटेल के मामले को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने डीजीपी एसके सिंघल पर सवाल खड़ा किया है.
गया में शराब बरामद होने से लेकर वहां के तत्कालीन एसपी के ट्रांसफर और FIR से दोषमुक्त करने तक पूरे मामले में फर्जी कॉल के आधार पर फैसले करने वाले डीजीपी एसके सिंघल की भूमिका संदेह के घेरे में है. इस मामले की जांच सीबीआई या किसी अन्य सक्षम एजेंसी से करायी जानी चाहिए.
क्या है पूरा मामला
बता दें कि कैसे बिहार पुलिस के मुखिया यानी डीजीपी साइबर फ्रॉड में फंसते गए, वो भी चीफ जस्टिस के नाम पर अपराधी जो कहता गया, वह वही करते गए. विभाग के सबसे बड़े अफसर के साथ हुई इस घटना ने सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं. अभिषेक अग्रवाल नाम का यह शख्स IPS अफसर को बचाने के लिए फर्जी जज बनता था और डीजीपी को फोन कर दबाव बनाता था. साइबर अपराधी अभिषेक अग्रवाल ने IPS आदित्य को शराब कांड से बरी कराने के लिए 40 से 50 कॉल किए. उसने यह कॉल 22 अगस्त से 15 अक्टूबर के बीच में किए.
बिहार पुलिस के मुखिया साइबर अपराधी की जाल में इस तरह से फंस गए कि अभिषेक चीफ जस्टिस बोल कर जो-जो निर्देश देता था, डीजीपी उसे पूरा करते रहे. उसने फ्रॉड करने के लिए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल की वाट्सएप डीपी और ट्रू कॉलर सेट किया था ताकि DGP को लगे कि वही मुख्य न्यायाधीश संजय करोल है.
Source : News State Bihar Jharkhand