भाकपा माले के वरिष्ठ नेता लक्ष्मी पासवान की श्रद्धांजलि सभा उनके पैतृक गांव में आयोजित की गई. स्मृति सभा में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेंद्र झा सहित कई नेताओं ने भाग लिया. इस मौके पर राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि कॉमरेड लक्ष्मी जी ने अपने 50 साल के राजनीतिक सफर में मिथिलांचल के लोगों को जगाने का काम किया. वो एक ऐसा जागरण था, जो सामंती जोर-जुल्म के खिलाफ था. वहीं उन्होंने कहा कि 70 के दशक में तानाशाही के दौर में उन्होंने लोकतंत्र को मजबूत बनाने की लड़ाई लड़ी. उन्होंने जहां से अपनी यात्रा शुरू की थी वो आपातकाल का दौर था, लेकिन वो आपातकाल कुछ समय का था.
आज अघोषित आपातकाल का दौर है. आज अभिव्यक्ति पर हर तरह के हमले हो रहे. एक वैचारिक चुनौती हमारे सामने है. लक्ष्मी जी जिस वैचारिक लड़ाई के वाहक थे, उसको गांव-गांव से लेकर दिल्ली तक पहुंचाना होगा. वहीं उन्होंने कहा कि प्रभुत्वशाली तबकों ने कमजोरों-गरीबों, दलितों को सताने का सिस्टम बना दिया था. इसको दूर करने के लिए संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर ने आरक्षण का प्रावधान किया. 2019 में मोदी सरकार ने संविधान में संशोधन करके 'सामजिक पिछड़ेपन' के बजाय 'आर्थिक कमजोरी' के नाम पर 10 प्रतिशत आरक्षण दिया. यह दलितों के आरक्षण के अधिकार पर सीधा हमला है. पिछले 60-70 सालों में सामजिक बराबरी का जो सफर हमने तय किया था, आरएसएस-बीजेपी ने देश को पीछे धकेल दिया है.
Source : News State Bihar Jharkhand