गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में निचली अदालत से फांसी की सजा पाने व फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील होने के बाद भी पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है. उन्हें उनके अच्छे आचरण की वजह से जल्द ही रिहाई मिल सकती है. फिलहाल आनंद मोहन सहरसा जेल में बंद हैं. अभी फरवरी माह में उन्हें अपनी बेटी की शादी में शामिल होने के लिए पैरोल मिला था. पैरोल अवधि खत्म होने के बाद आनंद मोहन फिर से सहरसा जेल में बंद हो गए थे. अब बिहार सरकार ने कारा हस्तक 2012 के नियम 481(i)(क ) में संशोधन किया है, जिसके बाद आनंद मोहन को जेल से रिहाई होने का रास्ता साफ हो गया है और माना जा रहा है वह जल्द ही जेल से बाहर आ जाएंगे.
डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड के बारे में
5 दिसंबर 1994 को मुजफ्फरपुर में भीड़ ने गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या कर दी थी. डीएम की हत्या से एक दिन पहले यानि 4 दिसंबर 1994 को आनंद मोहन की पार्टी (बिहार पीपुल्स पार्टी) के नेता रहे छोटन शुक्ला की हत्या कर दी गई थी.
भारी संख्या में भीड़ प्रदर्शन कर रही थी और इसी दौरान मुजफ्फरपुर के रास्ते हाजीपुर में मीटिंग कर गोपालगंज जा रहे डीएम जी. कृष्णैया की भीड़ ने खबड़ा गांव के समीप हमला बोला दिया. इस हमले में डीएम को गोली मार दी गई थी. भीड़ का नेतृत्व आनंद मोहन कर रहे थे. मामले में आनंद मोहन को निचली अदालत द्वारा दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई गई थी.
पटना हाईकोर्ट ने फांसी को उम्रकैद में बदला
निचली अदालत के आदेश के खिलाफ आनंद मोहन ने पटना हाईकोर्ट में अपील की. पटना हाईकोर्ट द्वारा 2008 में उनकी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया.
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में पटना हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. हालांकि, डीएम कृष्णैया हत्याकांड में आनंद मोहन की सजा पूरी हो चुकी है लेकिन उन्हें अबतक जेल से रिहा नहीं किया गया है. अब आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हो चुका है.
HIGHLIGHTS
- आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ
- डीएम हत्याकांड में काट रहे हैं उम्रकैद की सजा
- निचली अदालत ने सुनाई थी फांसी की सजा
- पटना हाईकोर्ट ने फांसी की सजा उम्रकैद में था बदला
Source : News State Bihar Jharkhand