दहेज समाज के लिए बहुत पहले से अभिशाप था और आज भी है. आज भी ना जाने कितनी विवाहिताएं दहेज की बलि बेदी पर चढ़ती रहती हैं और दहेज की आग में जलती रहती हैं. लेकिन आपने कभी क्या ये सोचा है कि कभी ननद क्यों नहीं अपने मायके में जलती? सिर्फ बहुएं ही रसोई में खाना बनाते जलकर मर जाती हैं? लेकिन कोर्ट इस बात को जरूर सोचती है. दरअसल, पटना हाईकोर्ट में कुछ दिन पहले एक शख्स ने अपनी बेल के लिए अपने अधिवक्ता के माध्यम से बेल की अर्जी लगाई थी लेकिन जज ने उसकी अर्जी समाज को आइना दिखाते हुए और कई सवाल समाज के लिए करते हुए खारिज कर दी.
क्या था मामला?
प्रस्तुत मामले में एक शख्स पर अपनी पत्नी को जलाकर मार देने का आरोप लगा था. पत्नी की दहेज के लिए हत्या शादी के 8 साल बाद की गई थी. कानून के मुताबिक, दहेज का मुकदमा शादी के 7 साल तक ही लगता है. लिहाजा प्रस्तुत मामले में आईपीसी 304 बी की जगह आईपीसी 302 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. आरोप था कि पति व उसके परिजनों द्वारा महिला की रसोई घर में जलाकर हत्या की गई थी और मामले को हादसा साबित करने का पूरा प्रयास किया गया था. आरोपी के पड़िसियों द्वारा मृत महिला के मायकेवालों को उसके मरने की खबर दी गई थी.
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क्या दी गई थी बेल के लिए दलील?
बेल एप्लीकेशन में आरोपि पति द्वारा कथन किया गया कि जिस समय उसकी पत्नी की रसोई घर में जलकर मौत हुई उस समय वह घर में था ही नहीं, इसलिए उसे बेल मिलनी चाहिए. इसके अलावा तमाम तरह के दलीलें पति द्वारा अपनी बेल एप्लीकेशन में दी गई थीं. लेकिन जज ने पहले ही मन बना लिया था करना क्या है.
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ननद क्यों नहीं जलती रसोई में खाना बनाते समय?
सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि इस मामले को छोड़िए, पूरे बिहार की बात कीजिए, क्या आपने कभी ये सुना है कि ननद रसोई में खाना बनाते समय जल गई. हर समय बहू ही क्यों जलती है? साथ ही जज ने ये भी सवाल खड़ा किया कि मान लो पति (आरोपी) घर में नहीं था तो उसके सास, ससुर, नौकर, ननद कोई भी नहीं था? ऐसा कैसे हो सकता है? जज ने कहा कि ये हादसा नहीं हो सकता. महिला के जलकर मरने की जानकारी जो ससुरालवालों यानि कि आरोपी को देनी चाहिए थी वह उसके पड़ोसी उसे दे रहे हैं. ऐसे में बेल देने का कोई मतलब ही नहीं बनता. जज ने ये भी कहा कि मामले में 6-6 महीनें बाद लगातार बेल के लिए ट्राइ करते रहो और अपनी किस्मत आजमाते रहे क्या पता बेल मिल जाए लेकिन फिलहाल आरोपी की जमानत याचिका खारिज की जाती है.
पड़ोसी ने दी मायकेवालों को सूचना
जज ने कहा कि कभी भी ननद रसोई घर में खाना बनाते समय जलकर नहीं मरती लेकिन बहू जरूर मरती है. जज ने कहा कि किसी ने भी क्या उसे जब जल रही थी किसी ने उसे बचाने में किसी का हाथ जला? क्या पूरे घर में कोई नहीं था कि उसे बचा सकते? जज ने पूछा कि क्या मायकेवालों को सूचना दी गई? जवाब में अधिवक्ता के वकील ने बताया कि पड़ोसी द्वारा मायकेवालों को सूचना दी गई. जज ने कहा कि अगर कोई हादसा घर में होता है तो परिजनों की ड्यूटी बनती है कि मायकेवालों व उसके अन्य परिजनों को सूचना दे लेकिन ऐसा नहीं किया गया है.
HIGHLIGHTS
- दहेज हत्या के आरोपी को हाईकोर्ट ने नहीं दी जमानत
- पत्नी की रसोईघर में खाना बनाते समय जलकर हुई थी मौत
- जज ने जमकर लगाई फटकार
Source : Sanjeev Sinha