23 अगस्त 2023, शाम 6:04 मिनट पर भारत ने चांद के साउथ पोल पर तिरंगा लहराकर इतिहास रच दिया. इस ऐतिहासिक मिशन में अपनी भूमिका निभाकर बिहार के लाल ने प्रदेश को गौरवान्वित कर दिया. मिशन चंद्रयान-3 की सफलता ने पूरे विश्व में भारत और भारत के वैज्ञानिकों का डंका बजा दिया है. चांद के साउथ पोल पर पहुंचने वाला भारत विश्व का पहला देश बन गया है. इससे पहले कोई भी देश मून के साउथ पोल तक नहीं पहुंच पाया है. भारत ने अपनी इस सफल अभियान के साथ ही अंतरिक्ष क्षेत्र में अपना लोहा मनवा दिया है. पूरी दुनिया देश के वैज्ञानिकों को बधाई देते थक नहीं रही. इस बड़े और ऐतिहासिक मिशन में बिहार के एक लाल अमिताभ भी हैं, जिन्होंने मिशन में अहम भूमिका निभाई है.
यह भी पढ़ें- बिहार में अपराधी बेलगाम, सरकार मूकदर्शक; आए दिन हो रही बड़ी घटनाएं
बिहार के लाल का कमाल
बिहार के समस्तीपुर जिले के वैज्ञानिक अमिताभ ने मिशन चंद्रयान-3 में बड़ी भूमिका निभाई है. जिले के पूसा प्रखंड के एक छोटे से गांव कुबौलीराम के अमिताभ ने इस अंतरिक्ष मिशन में डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर और ऑपरेशन डायरेक्टर की भूमिका निभाई है. ऐसे में मिशन की सफलता के बाद उनके परिवारवाले फूले नहीं समा रहे. अमिताभ चंद्रयान 1 और चंद्रयान 2 के मिशन का भी हिस्सा रह चुके हैं.
चंद्रयान-3 मिशन का हिस्सा बने डॉ. अमिताभ
अमिताभ की बात करें तो वह साल में एक बार छठ पर्व में चार दिनों के लिए अपने गांव आते हैं. गांव में उनके माता-पिता अकेले रहते हैं क्योंकि उनका बेटा घर से दूर रहकर देश की सेवा में लगा है. अपने बेटे की सफलता पर माता-पिता बेहद खुश हैं. मां का कहना है कि अमिताभ को सालों की मेहनत का फल मिला है. चंद्रयान मिशन के बाद अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में भारत का रुतबा बढ़ गया है और इस मिशन में अमिताभ समेत उन तमाम वैज्ञानिकों को पूरा देश सलाम करता है. जिनकी मेहनत और लगन ने देश को ये गौरव दिया है.
अमिताभ से जुड़ी जानकारी-
अमिताभ के पिता रामचंद्र प्रसाद सेवानिवृत हेडमास्ट हैं.
चार बहनों के बाद अभिताभ सबसे छोटा बेटा है.
उनकी शिक्षा गांव के एक कॉन्वेंट स्कूल से शुरू हुई.
अमिताभ ने गांव से ही प्राइमरी, मिडिल और हाई स्कूल तक पढाई की.
सर्वोदय हाई स्कूल से 1989 मैट्रिक करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए पटना गए.
अमिताभ ने ISC से MSC की पढ़ाई एएन कॉलेज पटना से पूरी की.
उन्होंने बीआईटी मेसरा से एमटेक की पढ़ाई की.
एमटेक के अंतिम साल में उन्होंने प्रोजेक्ट वर्क के लिए इसरो के तीन केंद्रों पर आवेदन दिया.
1999 में अमेरिका की रिसर्च कंपनी RMSI से जुड़े.
साल 2003 में क्लास वन साइंटिस के रूप में इसरो में उनका चयन हुआ.
अमिताभ की पत्नी डॉ. ममता सिंह जोधपुर एम्स में कार्यरत हैं.
HIGHLIGHTS
- चंद्रयान-3 मिशन का हिस्सा बने डॉ. अमिताभ
- मिशन सफल होने के बाद परिवार में खुशी का माहौल
- मिशन में डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर की भूमिका निभाई
Source : News State Bihar Jharkhand