बिहार में शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच लेटर वॉर लगातार जारी है. इस बार शिक्षा विभाग ने राजभवन को कड़ाई से एक पत्र लिखा है. इस पत्र में विभाग के सचिव ने पत्र लिखकर अब राजभवन से सीधा पूछ दिया है. पत्र में लिखा गया है कि शिक्षा विभाग अब कुलाधिपति की स्पष्ट शक्तियों और अधिकारों के बारे में जानना चाहता है. विश्वविद्यालय मामले में एक्ट जानना चाहता है कि किस एक्ट में कुलाधिपति की स्पष्ट शक्तियां प्रदान की गई हैं. राजभवन स्पष्ट प्रावधान शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराए.
विभाग के सचिव ने पत्र लिखकर पूछा सीधा सवाल
शिक्षा विभाग ने अपने पत्र में लिखा कि आपने विश्विद्यालय की स्वायत्तता को प्रभावित करने वाले व्यक्तिगत अधिकारियों का उल्लेख किया. शिक्षा विभाग जानना चाहता है कि किन अधिकारियों ने स्वायत्तता प्रभावित किया और कैसे किया? आगे लिखा गया कि राजभवन को बताना चाहता हूं कि शिक्षा विभाग सालाना 4000 करोड़ रुपए विश्विद्यालयों पर खर्च करता है. शिक्षा विभाग हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में 3000 से अधिक मामलों का सामना कर रहा है. अगर राजभवन इतना ही उत्सुक है तो यह काम करे. पत्र में आगे लिखा गया कि राजभवन सचिवालय को शिक्षा विभाग सलाह देता है कि अब सभी अदालती मामलों को राजभवन सीधे लड़ें और खुद प्रत्येक केस में हस्तक्षेप याचिका खुद दायर करे.
राजभवन ने जारी किया था आदेश
आपको बता दें कि पिछले कुछ दिनों से शिक्षा विभाग और राज्य भवन के बीच तनातनी देखने को मिल रही है. हाल ही में राजभवन की तरफ से एक आदेश पारित किया गया था. राज्यपाल के प्रधान सचिव की तरफ से जारी किए गए आदेश में साफ तौर पर लिखा गया है कि सभी विश्वविद्यालय को सिर्फ कुलाधिपति के आदेश का पालन करना होगा. इसके साथ ये भी कहा गया है कि इसके अलावा किसी और की बातें मानना स्वायत्तता के अनुकूल नहीं होगा. आपको बता दें कि राज्य में काफी समय से शिक्षा विभाग और राज्य भवन के बीच तनातनी जारी है. यह तनातनी BR अंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति के वेतन को रोकने से शुरू हुआ था और अब ये खींचतान इतना बढ़ गया कि राज भवन के द्वारा ये आदेश तमाम विश्वविद्यालयों को दे दिया गया कि वह केवल कुलाधिपति के आदेश का ही पालन करेंगे.
HIGHLIGHTS
- शिक्षा विभाग-राजभवन के बीच लेटर वॉर
- शिक्षा विभाग ने राजभवन को लिखा पत्र
- विभाग के सचिव ने पत्र लिखकर पूछा सीधा सवाल
- कुलाधिपति की शक्तियों की जानकारी मांगी
Source : News State Bihar Jharkhand