Bihar News: शिक्षा विभाग की खुली पोल, 203 विद्यालयों के पास नहीं है अपना भवन

जिले के लगभग 203 विद्यालयों के पास ना तो अपनी भूमि है और ना ही भवन है. एक ही भवन के दो कमरे में, कही तीन तो कही दो विद्यालय का संचालन होता है.

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Rashmi Rani
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Primary school( Photo Credit : NewsState BiharJharkhand)

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बिहार में शिक्षा प्रणाली गुणवत्तापूर्ण और बेहतर करने के दावे तो सरकार कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. शिक्षा देने के नाम पर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. जिले के लगभग 203 विद्यालयों के पास ना तो अपनी भूमि है और ना ही भवन है. जिसका नतीजा ये है कि एक ही भवन के दो कमरे में, कही तीन तो कही दो विद्यालय का संचालन होता है. किसी एक जिले के नहीं लगभग राज्य के हर जिलों का यहीं हाल है. जहां बच्चों के लिए एक क्लास रूम भी नहीं है.      

रेलवे के द्वारा दिया गया भवन 

शिक्षा के जरिये समाज को साक्षर बनाने का दावा केंद्र और राज्य सरकार करती आ रही है. जिसके लिए करोड़ों रुपये खर्च भी किये जा रहे हैं, लेकिन यह खर्च कहां और किसके लिए हो रही है. यह एक बड़ा सवाल है. जिले के 203 ऐसे विधालय हैं जिनके पास ना तो अपनी भूमि है और ना ही भवन है. पहली तस्वीर राजकीय प्राथमिक विद्यालय गंडक कॉलोनी मगरदही वार्ड 7 की है. इस विद्यालय के पास ना तो अपनी जमीन है और ना ही भवन है. रेलवे के द्वारा विद्यालय संचालन के लिए दो कमरे का एक भवन दिया गया है. यहां दो शिफ्ट में प्राथमिक और मध्य विद्यालय का संचालन होता है. 

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एक भवन में दो विद्यालयों का होता है संचालन

मॉर्निंग शिफ्ट में राजकीय प्राथमिक विद्यालय गंडक कॉलोनी मगरदही वार्ड 7 का संचालन होता है. इस विद्यालय में दो कमरे और एक एस्बेस्टस का बना बरामदा है. जिसमें क्लास एक से पांच तक कि पढ़ाई होती है. विद्यालय में 163 बच्चे और उनकों पढ़ाने के लिए तीन शिक्षक हैं. वहीं, दूसरे विद्यालय राजकीय मध्य विद्यालय, मूलचंद्र लेन का संचालन 12 बजे से 4: 30 बजे तक होता है.  इस विद्यालय में 150 बच्चे और 6 शिक्षक हैं. दो कमरे में वर्ग पांच की पढ़ाई की व्यवस्था होने से बच्चों को काफी कठिनाई होती है. विद्यालय में बच्चों को खेलने के लिए मैदान तक उपलब्ध नहीं है.

 दो शिफ्ट में तीन विद्यालय का संचालन 

दूसरी तस्वीर शहर के चीनी मील परिसर में चलने वाले विधालय की है. जहां एक ही भवन के दो कमरों में दो शिफ्ट में तीन विद्यालय का संचालन होता है. मॉर्निंग शिफ्ट में प्राथमिक विद्यालय स्वीपर कॉलोनी का संचालन होता है.  इस स्कूल में 86 बच्चे और 3 शिक्षक है. जहां  6: 30 से 11: 30 बजे तक वर्ग 1 से 5 तक कि पढ़ाई होती है. वहीं, दोपहर की शिफ्ट में भवन के एक कमरे में प्राथमिक विद्यालय चीनी मिल जिसमे 63 बच्चे और  2 शिक्षक है. वंही दूसरे कमरे में प्राथमिक विद्यालय मोतीनगर का संचालन होता है. इस विद्यालय में मात्र 24 छात्र है और 2 शिक्षक कार्यरत हैं. वहीं, विधालय के एक जर्जर कमरे में मध्यान भोजन बनाये जाते हैं.  पीने के पानी की व्यवस्था के लिए एक चापाकल है, लेकिन पानी पीने योग्य नहीं है. एक भवन के दो अलग अलग कमरे में वर्ग 1 से 5 तक की पढ़ाई होती है. ऐसे में आप समझ सकते हैं कि बच्चों को कैसी शिक्षा मिल पाती होगी.

शिक्षा पदाधिकारी ने दी सफाई 

वहीं, इस मामले पर जिला शिक्षा पदाधिकारी मदन राय ने बताया कि जिले में 203 विद्यालय भूमिहीन है. जिनमें 90 विद्यालय के लिए भूमि चिन्हित कर लिए गए हैं. जिनमे 30 विद्यालयों के भवन का निर्माण भी शुरू हो गया है. शेष 113 विद्यालय जो भूमिहीन हैं. उन्हें दूसरे विद्यालय में शिफ्ट कर दिया गया है. डीईओ का कहना है कि एक भवन में तीन विद्यालय के संचालन की जानकारी उन्हें नहीं है. अगर ऐसी बात उनके संज्ञान में आती है तो विद्यालय को बगल के विद्यालय में शिफ्ट किया जाएगा. फिलहाल संसाधन को देखते हुए दो विद्यालय को शिफ्ट करने का निर्देश दिया गया है.

रिपोर्ट - मन्टुन रॉय 

HIGHLIGHTS

  • रेलवे के द्वारा दिया गया भवन 
  • एक भवन में दो विद्यालयों का होता है संचालन
  •  दो शिफ्ट में तीन विद्यालय का संचालन 
  • शिक्षा पदाधिकारी ने दी सफाई 

Source : News State Bihar Jharkhand

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