बिहार के कटिहार से हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है, जहां की अजीबो-गरीब पूजा पद्धति आपको भी हैरान कर देगी. यहां आस्था के नाम पर श्रद्धालु गर्म कोयले पर नंगे पैर चलते हैं. श्रद्धालुओं की मानें तो ऐसा करने से उनको धन और संतान की प्राप्ति होती है. अब इस तरह की मान्यता आस्था है या अंधविश्वास ये तो आप ही तय कर सकते हैं. कटिहार में आस्था और अंधविश्वास के समागम की अनोखी तस्वीर सामने आई, जहां पूजा-पाठ के नाम पर श्रद्धालु गर्म कोयले पर चलते नजर आए. हैरान करने वाली ये तस्वीरें जिले के समेली प्रखंड की है, जहां 4 दिवसीय झील पूजा समारोह का आयोजन किया जाता है.
आस्था है या अंधविश्वास?
इस समारोह में श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए गर्म कोयले पर चलकर अराधना करते हैं. कहा जाता है कि ऐसा करने से उन्हें धन-दौलत और संतान की प्राप्ति होती है. किवदंतियों की मानें तो अयोध्या के राजा दशरथ ने झील पूजा की शुरुआत की थी और पूजा का प्रसाद खाने के बाद उन्हें राम-लक्ष्मण-भरत और शत्रुघ्न जैसे तेजस्वी पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी.
ईश्वरीय शक्ति से नहीं जलते पैर
4 दिवसीय इस मेले में हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं. दूर-दराज के गावों से महिला-पुरुष बच्चे बूढ़े सभी वर्ग के लोग समारोह में शिरकत करते हैं और अपनी मुरादें पूरी करने के लिए कोयले पर चलकर प्रार्थना करते हैं. श्रद्धालुओं का दावा है कि ईश्वर की कृपा से उनके पैर भी नहीं जलते. इस समारोह में प्रसाद बांटने का तरीका भी बेहद नायाब है. दरअसल, झील पूजा के मुख्य भक्त बांस से बने झील के ऊपर चढ़कर आग पर चलने के बाद उन सभी श्रद्धालुओं के आंचल में फेंक कर प्रसाद देते हैं, जो भी भक्त इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं, उनकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है.
यहां हैरान करने वाली बात ये है कि नंगे पैर आग पर चलने के बाद भी श्रद्धालुओं को कोई चोट नहीं आती. ये पूजा पद्धति यहां सैंकड़ों सालों से चलती आ रही है. बहरहाल, अब भक्तों के दावों में कितनी सच्चाई है. इसका तो पता नहीं, लेकिन आस्था के नाम पर इस तरह का कारनामा किसी बड़े हादसे को दावत दे सकता है. न्यूज़ स्टेट बिहार झारखंड ऐसी किसी भी मान्यता को बढ़ावा नहीं देता.
HIGHLIGHTS
- आस्था है या अंधविश्वास?
- गर्म कोयले पर चलते हैं श्रद्धालु
- ईश्वरीय शक्ति से नहीं जलते पैर?
- सैकड़ों साल से चल रही परंपरा
- झील पूजा समारोह का गजब नजारा
Source :