इस साल श्राप मुक्त हो जाएगी अंतः सलिला फल्गु नदी, बढ़ेगी तीर्थ यात्रियों की भीड़

गया की अंतः सलिला फल्गु नदी इस महीने श्राप मुक्त हो जाएगी.

author-image
Rashmi Rani
New Update
rubber dam

फाइल फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

गया की अंतः सलिला फल्गु नदी इस महीने श्राप मुक्त हो जाएगी. मोक्षदायिनी फल्गु नदी में सालों से भर रहे पानी के लिए बिहार सीएम नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है रबर डैम. रबर डैम इस वर्ष के पितृपक्ष मेले के शुरू होने से पहले बनकर तैयार हो जाएगा. फल्गु नदी के जल का महत्व इतना है कि मात्र इसके स्पर्श से ही पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. यही कारण है कि विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला के दौरान देश विदेश से लाखों की संख्या में हिंदू सनातन धर्मावलंबी यहां आकर अपने मृत पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए इसी जल से तर्पण और पिंडदान करते हैं.

ऐसी मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता, राजा दशरथ का श्राद्ध करने गया पहुंचे थे. यहां राम और लक्ष्मण श्राद्ध का सामान जुटाने गए थे. तभी एक आकाशवाणी हुई, जिसमें मां सीता को श्राद्ध करने को कहा गया. तब मां सीता ने बालू से पिंड बनाकर राजा दशरथ का श्राद्ध कर दिया. इस पिंडदान का साक्षी सीता ने वहां मौजूद फल्गु नदी, गाय, तुलसी, अक्षय वट और एक ब्राह्मण को बनाया, लेकिन जब भगवान श्री राम और लक्ष्मण वापस आए और श्राद्ध के बारे में पूछा तो फल्गु नदी ने उनके गुस्से से बचने के लिए झूठ बोल दिया. तब माता सीता ने गुस्से में आकर नदी को श्राप दिया तब से यह नदी भूमि के नीचे बहती है. इसलिए यह अंतः सलिला कहा जाता है.

प्राचीनकाल से श्रापित अंतः सलिला फल्गु नदी इस पितृपक्ष मेला के पूर्व श्राप मुक्त हो जाएगी. इस संबंध में गया डीएम डॉ त्यागराजन एस एम ने बताया कि विश्वप्रसिद्ध पितृ पक्ष मेला के पहले रबर डैम का कार्य पूरा होना है. पितृ पक्ष मेले की अवधि में देश विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां पिंडदान करने आते हैं. इस बार उन्हें फल्गु नदी का जल तर्पण के लिए मिल सकेगा. वहीं, पितृपक्ष मेला की तैयारी की जा रही है. मेला क्षेत्र में आवासन, सफाई, सुरक्षा व्यवस्था, जलापूर्ति, बिजली, परिवहन आदि की व्यवस्था को लेकर बैठक की जा रही है और संबंधित विभाग को निर्देश दिए जा रहे हैं.

विष्णुपद मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के सचिव गजाधर लाल पाठक ने बताया कि पिछले 2 वर्षों में कोरोना काल के कारण पितृपक्ष मेला का आयोजन नहीं हो सका था. इस बार पिंडदानियों और श्रद्धालुओं की संख्या में काफी वृद्धि होगी. वहीं, इसके लिए व्यापक रूप से तैयारी भी की जा रही है. पाठक ने बताया कि गया में प्रतिदिन पिंडदान होने की परंपरा है. कोरोना काल में पिंडदानियों के आवागमन नहीं होने के कारण यहां के पंडा समाज के द्वारा अपने मृत पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए पिंडदान करने की परंपरा को निभाई थी. इस बार ज्यादा संख्या में श्रद्धालुओं की आने की संभावनाएं हैं.

Source : News Nation Bureau

Bihar News CM Nitish Kumar Gaya News Falgu River rubber dam
Advertisment
Advertisment
Advertisment