बक्सर का बवाल नरम पड़े ना पड़े, उसे गरमाने की सियासत जरूर तेज होने लगी है. किसान आंदोलन को गरमाने के लिए सियासी दौरे शुरू हो गए हैं. NTPC के जमीन अधिग्रहण को लेकर शुरू हुआ किसानों का बवाल महापंचयत तक पहुंच चुका है. एक तरफ किसान मुआवजे के रिव्यू को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं तो दूसरी ओर सियासत करने वालों का जमावड़ा भी लगने लगा है. बीजेपी नेताओं ने बक्सर में डेरा डाल दिया. हालांकि बीजेपी नेताओं को किसानों के विरोध का भी सामना करना पड़ा.
अब इन सबके बीच किसान नेता राकेश टिकैत किसानों का साथ देने बक्सर पहुंचे हैं. इस दौरान टिकैत के साथ आरटीआई एक्टिविस्ट शिव प्रकाश राय, विभूति नारायण तिवारी, सुदामा सिंह, रंकज सिंह, वराणसी मंडल अध्यक्ष जितेन्द्र प्रताप तिवारी, गोपाल सिंह समेत दर्जनों हरियाणा, पंजाब और उत्तरप्रदेश के किसान नेता दिखे. बक्सर पहुंचे राकेश टिकैत और उनके साथ बाकी के किसान नेताओं ने सीधे-सीधे आंदोलन की चेतावनी दे डाली है. पूरे बिहार में आंदोलन का ऐलान कर दिया है.
मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि केंद्र सरकार और बिहार सरकार किसानों की जमीनें हड़प कर कॉरपोरेट घरानों और अडानी अम्बानी माल्या जैसे लोगों के हाथों सौप अपनी कुर्सी पर बैठे हैं. दिल्ली में डेढ़ साल में 700 किसानों ने शहादत दी थी. बिहार के किसान को तो अभी सिर्फ डंडा से पीट पीटकर आंदोलनरत रखा गया है. आज से बिहार के किसानों की जमीन लूटने वाली सरकार को चेतावनी है कि अब बिहार आंदोलन देखेगा.
वहीं, केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने इस मामले को लेकर बिहार पुलिस और सरकारी अधिकारियों को जमकर घेरा. अश्विनी चौबे ने कहा कि मेरे ऊपर हमला भी हुआ था लेकिन पुलिस ने हमला करनेवाले आरोपियों को छोड़ दिया. साथ ही उन्होंने कहा कि एनटीपीसी विवाद के लिए बिहार की सरकार जिम्मेदार है. उन्होंने कहा कि जब वो बक्सर में अनशन पर बैठे थे तब सरकारी अधिकारियों द्वारा उनकी हत्या कराने की साजिश रची गई थी.