बगहा में खाद की किल्लत, परेशान अन्नदाता 4 दिनों से कर रहे इंतजार
एक बार फिर अन्नदाता कतार में हैं. पूरे देश का पेट भरने वालों को ये चिंता सता रही है कि कहीं उन्हें ही दो जून की रोटी नसीब ना हो. किसानों को खाद मिल नहीं रही है.
एक बार फिर अन्नदाता कतार में हैं. पूरे देश का पेट भरने वालों को ये चिंता सता रही है कि कहीं उन्हें ही दो जून की रोटी नसीब ना हो. किसानों को खाद मिल नहीं रही है. लिहाजा फसल खराब होने की कगार पर है और बड़ा सवाल ये है कि अगर फसल खराब हुई तो पूरे साल घर में चूल्हा कैसे जलेगा? बगहा में खाद की मारामारी जारी है. हाड़ कंपाने वाली ठंड में सुबह से ही किसान खाद वितरण केंद्र पर कतार लगा देते हैं, लेकिन घंटों इंतजार करने के बाद भी खाद नहीं मिल पाती. परेशान किसानों के सब्र का बांध अब टूट गया है और अब किसानों ने मोर्चा खोल दिया है. बिस्कोमान भवन के सामने दर्जनों किसानों ने अपने हाथों में आधार कार्ड और पर्ची लेकर विरोध प्रदर्शन किया और नाराजगी जताई.
यूरिया के लिए काट रहे हैं चक्कर किसानों का कहना है कि कड़ाके की ठंड में सुबह से लेकर शाम तक 4 दिन से यूरिया के लिए चक्कर काट रहे हैं, लेकिन 4 दिन के बाद भी यूरिया खाद नहीं मिल सकी है. किसानों की मानें तो सरकार की ओर से खाद तो दी जा रही है, लेकिन वितरण कर्मचारी खाद को ब्लैक में बेचकर अवैध उगाही करते हैं और किसानों को खाद नहीं दिया जाता है. अंदर से पैसा लेकर 40 से 50 बोरा तक खाद ब्लैक बेचा जा रहा है किसानों का कहना है कि ऐसी कर्मियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि कालाबाजारी पर लगाम लगे और आम किसानों को खाद मिल सके.
खाद की कमी वहीं, आरोपों को लेकर वितरण कर्मचारी का कहना है कि किसानों की जरूरत के हिसाब से खाद नहीं आती. जहां पहले 7-8 हजार खाद के बोरे आते थे वहीं, अब हजार या दो हजार बोरे आते हैं. ऐसे में कहां से कालाबाजारी होगी. बिहार में खाद की समस्या नई नहीं है. किसानों को हर बार इससे दो-चार होना पड़ता है. हर बार प्रदर्शन होते हैं. आश्वासन मिलता है, लेकिन हालात जस के तस बने रहते हैं. ऐसे में देखना होगा कि बगहा के किसानों की गुहार सरकार तक कब पहुंचती है.