बिहार के सभी जिलों में यूरिया की किल्लत है. उर्वरक क्रय केंद्रों पर मारामारी देखी जा रही है. घंटों कतार में रहने पर भी किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है. परेशान किसान बाहर से मुंह मांगे दामों पर यूरिया खरीदने को मजबूर हैं. आपको बता दें कि गेहूं की बुआई के बाद यूरिया की मांग बढ़ जाती है. इसी मांग की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. आंकड़ों की बात की जाए तो बिहार को दिसंबर की मांग के हिसाब से बीस फीसदी कम यूरिया मिली है. दिसंबर में मांग तीन लाख 30 हजार मीट्रिक टन यूरिया की है. केंद्र सरकार से 25 दिसंबर तक आवंटन 2 लाख 68 हजार मीट्रिक टन हुआ है. जिसमें से दो लाख 48 हजार मीट्रिक टन यूरिया ही बिहार पहुंच पाई है. यानी अभी 82 हजार मीट्रिक टन यूरिया पहुंचना बाकी है.
रैक आने के बाद सभी जिलों के क्रय केंद्रों तक खाद जाएगी. यही कारण है कि गेहूं पटवन के समय खाद खरीदने के लिए किसानों को मशक्कत करनी पड़ रही है. बाजार से उन्हें महंगे दामों पर 350 से 450 रुपये में खरीदना पड़ रही है. जबकि उर्वरक क्रय केंद्रों पर यूरिया प्रति बोरा 266 रुपये में मिलती है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पर्याप्त नमी रहने के चलते रबी 2022-23 में पिछले साल की तुलना में ज्यादा क्षेत्र में बुआई हुई है.
साथ ही आपको बता दें कि लखीसराय में पेक्स से खाद बिक्री और धान खरीद को लेकर नाराज किसानों ने डीएम से मुलाकात की. किसानों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पूर्व के पैक्स अध्यक्ष की ओर से किसान भवन के निर्माण में धंधाली की गई. किसानों ने कहा कि जानबूझकर कुछ बिचौलिए दूसरे पंचायत में धान खरीदने की बात कह रहे हैं. किसानों का कहना है कि दूसरे पंचायत में धान ले जाने में और वहां बेचने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि लाखोचक पंचायत के पैक्स अध्यक्ष अपने गांव के किसानों का धान खरीदेंगे या मेरे इसलिए हम लोग इसका विरोध करते हैं.
HIGHLIGHTS
- बिहार में खाद की किल्लत
- किसानों को नहीं मिल रही है खाद
- घंटों कतारों में खड़े रहते हैं किसान
- मुंहमांगे दामों पर खाद खरीद रहे किसान
- गेहूं की बुआई के बाद बढ़ जाती है यूरिया की मांग
Source : News State Bihar Jharkhand