Bihar Flood: बिहार के विभिन्न जिलों में हो रही लगातार बारिश ने गंगा नदी के जलस्तर को तेजी से बढ़ा दिया है. पटना सहित कई अन्य शहरों में गंगा का पानी खतरे के निशान को पार कर चुका है, जिससे दियारा क्षेत्र में रहने वाले लोगों के जीवन पर गहरा संकट मंडराने लगा है. इन इलाकों में बाढ़ का पानी झोपड़ियों को निगल गया है, जिसके कारण लोग अपने घरों को छोड़कर ऊंचे स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं.
पटना में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर
आपको बता दें कि पटना में गांधी घाट पर गंगा नदी का जलस्तर 49.04 मीटर तक पहुंच चुका है, जबकि खतरे का निशान 48.60 मीटर है. दीघा घाट पर भी स्थिति गंभीर बनी हुई है, जहां डेंजर लेवल 50.45 मीटर है और वर्तमान जलस्तर 50.14 मीटर पर बना हुआ है. इन हालातों के चलते निचले इलाकों में पानी भर चुका है, जिससे वहां के लोग भयभीत हैं और जल्द से जल्द सुरक्षित स्थानों पर जाने की कोशिश कर रहे हैं.
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प्रशासन का अलर्ट और किसानों की परेशानी
वहीं गंगा के उफान के चलते प्रशासन अलर्ट मोड पर है. पटना, मुंगेर, खगड़िया, भागलपुर और कटिहार के निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति ने लोगों की समस्याओं को बढ़ा दिया है. मौसम विभाग ने आगामी दिनों में औरंगाबाद, गया, जहानाबाद, अरवल, नालंदा, नवादा, शेखपुरा, समस्तीपुर, वैशाली और भोजपुर जिलों में भारी बारिश की संभावना जताई है. इस स्थिति ने किसानों की परेशानियों को और गहरा कर दिया है, क्योंकि उनके सैकड़ों एकड़ खेत पानी में डूब गए हैं, जिससे फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं.
गोपालपुर में बांध क्षतिग्रस्त, पुनपुन में स्थिर जलस्तर
साथ ही आपको बता दें कि भागलपुर के गोपालपुर में हाल ही में एक बांध क्षतिग्रस्त हो गया था, जिससे आसपास के कई इलाकों में पानी का फैलाव हो गया है. हालांकि, जल संसाधन विभाग का दावा है कि तटबंधों की स्थिति और नदियों के जलस्तर पर लगातार निगरानी रखी जा रही है. वहीं, कोइलवर में सोन नदी का जलस्तर घट रहा है और पुनपुन नदी श्रीपालपुर में स्थिर बनी हुई है.
राहत के बाद फिर से बढ़ी चिंता
इसके अलावा आपको बता दें कि पिछले सप्ताह गंगा के जलस्तर में थोड़ी गिरावट देखने के बाद तटीय इलाकों और दियारा के लोगों ने राहत की सांस ली थी. खेतों से पानी निकलना शुरू हो गया था, जिससे लोग सामान्य जीवन की ओर लौटने लगे थे. लेकिन, अब एक बार फिर गंगा के उफान ने उनकी चिंता बढ़ा दी है. दियारा के लोग, जिनके जीवन का मुख्य साधन खेती है, अब अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. बाढ़ का पानी उनके जीवन और संपत्ति दोनों के लिए खतरा बन गया है.