G-20 सम्मेलन के जरिए एक बार फिर भारत और भारत के संस्कृति का परमच पूरे विश्व में लहराया. भारत मंडपन पर देश की प्राचीन सभ्यता से लेकर आधुनिक भारत की झलक देखने को मिली, लेकिन इस सब के बीच आकर्षण का केंद्र बना विश्व के सबसे पुराने विश्वविद्यालय का भग्वावशेष. दरअसल, भारत मंडपम में जी-20 नेताओं और प्रतिनिधियों के लिए डिनर का आयोजन किया गया. डिनर से पहले प्रधानमंत्री ने एक मंच पर सभी राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत किया. इस दौरान स्वागत स्थल की पृष्ठभूमि में बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नवाशेष को जगह मिली. जहां पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों और ब्रिटेन के पीएम त्रृषि सुनक को इस प्राचीन विश्वविद्यालय के इतिहास के बारे में बताया.
नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नवाशेष को मिली जगह
नालंदा विश्वविद्यालय जिसे पूरी दुनिया में ज्ञान के केंद्र के रूप में जाना जाता था, उसे बख्तियार खिलजी ने आग के हवाले कर दिया था. ऐसे में इस वैश्विक धरोहर को विश्व मंच पर लाने के बाद बिहार में इसपर भी क्रेडिट लेने की होड़ शुरू हो गई. जहां बीजेपी का कहना है कि पीएम मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय की पहचान को पूरे विश्व के पटल पर लाने की कोशिश की. बीजेपी ने साथ ही कहा कि खुद प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का परिचय करवाया. ये काम सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर सकते हैं.
सीएम नीतीश और पीएम मोदी की मुलाकात
बीजेपी का चाहे जो भी मानना हो, लेकिन JDU का कहना है कि जो विश्वविद्यालय इतिहास के पन्नों में दफन हो गया था. उसे फिर से पुनर्जीवित करने का काम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया. तो वहीं कांग्रेस और RJD भी JDU के सुर मे सुर मिलाकर विश्वविद्यालय के पुररुत्थान का श्रेय सीएम नीतीश कुमार को दे रहे हैं.
HIGHLIGHTS
- जी-20 में बिहार के लिए ये रहा खास
- नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नवाशेष को मिली जगह
- पीएम मोदी ने बताया इतिहास
Source : News State Bihar Jharkhand