बिहार में लड़कियों के लापता होने की समस्या लगातार गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही है. साल 2019 से 2021 के बीच, लगभग 9800 से अधिक बच्चियों के लापता होने के मामले दर्ज किए गए हैं. यह समस्या न केवल बिहार के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ा खतरा है. तस्कर बच्चियों को सुनहरे सपने दिखाकर खाड़ी देश भेज दे रहे हैं. वे उन्हें घर पर रहकर काम करने के झूठे ऑफर देते हैं.
सपने दिखाकर खाड़ी देशों में तस्करी
तस्कर बच्चियों को सुनहरे सपने दिखाकर खाड़ी देश भेज दे रहे हैं. वे उन्हें घर पर रहकर काम करने के झूठे ऑफर देते हैं, ऑनलाइन नौकरियां और फ्रीलॉन्सिंग के माध्यम से अधिक कमाई का वादा करते हैं. इसके अलावा, वे आकर्षक पैकेज और सुविधाएं देने का वचन देते हैं और भ्रामक लिंक भेजते हैं जिससे बच्चियां उनके जाल में फंस जाती हैं.
तस्कर करते लड़कियों के साथ दोस्ती
भूमिका विहार एनजीओ द्वारा किए गए सर्वे में पता चला है कि अधिकांश बच्चियों को रेंडम मिस कॉल आने के बाद तस्करों के साथ दोस्ती हो जाती है. उन्हें बड़े सुनहरे सपने दिखाए जाते हैं और फिर वे घर से बाहर निकल जाती हैं.
देश से लौटने के बाद परेशानी
तस्करों द्वारा नाबालिग बच्चियों को बहला फुसलाकर ले जाने के बाद, जब उनकी उम्र 18 वर्ष की हो जाती है, तो उन्हें टूरिस्ट वीजा के माध्यम से खाड़ी देश भेज दिया जाता है. लेकिन जब वे वहां से लौटती हैं, तो घरवाले उन्हें नहीं अपनाते और उन्हें देह व्यापार में धकेल दिया जाता है.
पुलिस की कार्रवाई
बिहार पुलिस ने नाबालिग बच्चियों के बाल विवाह को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं. प्रत्येक थाना के सेक्टर पदाधिकारी सप्ताह में दो दिन जागरूकता अभियान चलाएंगे और नाबालिग बच्चियों के शादी होने की सूचना पर तुरंत कठोर कानूनी कार्रवाई करेंगे.