गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे यहां के चुनावी मैदान में दावेदारों की संख्या बढ़ती जा रही है. 17 साल से जिस बीजेपी को गोपालगंज की जनता ने अपना समर्थन दिया है. वहां इस बार जनता से समर्थन मांगने वालों की तादाद बढ़ गई है. बिहार में बदली सियासी फिजा के बाद चुनावी मैदान को फतह करने की तैयारी है और इस तैयारी में दावेदार बढ़ रहे हैं. खासकर गोपालगंज में होने वाले उपचुनाव में. पिछले 17 साल से जिस गोपालगंज की जनता ने बीजेपी को अपना आशीर्वाद दिया. वहां की जनता के बीच इस बार समर्थन मांगने वालों की संख्या बढ़ गई है.
बीजेपी विधायक सुभाष सिंह के निधन के बाद BJP से कुसुम देवी को टिकट मिला है. मोहन प्रसाद गुप्ता महागठबंधन के उम्मीदवार हैं. तो BSP से इंदिरा यादव चुनावी मैदान में हैं. AIMIM के सिम्बल पर पूर्व मुखिया अब्दुल सलाम चुनाव लड़ेंगे.
हर बार की तरह इस बार भी जातिगत समीकरण को गोपालगंज के इस चुनावी मैदान में 'मेन फैक्टर' के तौर पर देखा जा रहा है. बीजेपी की प्रत्याशी दिवंगत सुभाष सिंह की पत्नी कुसुम देवी सहानुभूति की लहर पर जरूर सवार हैं, लेकिन जिस तरह से तेजस्वी यादव ने 600 करोड़ की योजनाओं की सौगात दी है और फिर वैश्य समाज के प्रत्याशी मोहन प्रसाद को टिकट दिया. उसे सेंधमारी के तौर पर ही माना जा रहा है.
गोपालगंज का जातीय समीकरण
क्षत्रिय समाज का सबसे ज्यादा वोट
दूसरे नंबर पर यादवों का वोट प्रतिशत है
तीसरे नंबर पर मुस्लिम समुदाय हैं
जीत में वैश्य समाज की निर्णायक भूमिका
क्षत्रिय समाज से BJP प्रत्याशी कुसुम देवी हैं. वैश्य समाज से महागठबंधन के उम्मीदवार यादव समाज से बीएसपी उम्मीदवार इंदिरा देवी तो मुस्लिम चेहरा के लिए दावे ठोक दिये गये हैं. अब गोपालगंज उपचुनाव के नतीजे ही तय करेंगे कि इस बार सहानुभूति वोट बीजेपी को जीत दिलाएगा या फिर महागठबंधन के खाते में यह सीट जायेगा या बाजीगर कोई और कहलायेगा.
रिपोर्ट : शैलेंद्र श्रीवास्तव
Source : News State Bihar Jharkhand