कोरोना वायरस के कहर से बचने के लिए केंद्र सरकार ने देश भर में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया था. बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार सरकार के मुखिया नीतीश कुमार को आगाह करते हुए बताया कि अगर सरकार राज्य को कोरोना के कहर से बचाना चाहती है तो उसे जांच की संख्या बढ़ानी चाहिए, संदिग्धों के अलावा रैंडम और रेग्युलर टेस्टिंग पर जोर देना चाहिए तभी वो बिहार में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोक पाएगी. तेजस्वी यादव ने बिहार सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि मैं अफसोस के साथ बताना चाहूंगा कि बीते दो महीनों के दौरान बिहार का प्रतिदिन जांच का औसत एक हजार से भी कम है.
तेजस्वी यहीं पर चुप नहीं हुए उन्होंने आगे कहा कि ये एक निर्विवाद तथ्य है कि अधिकतम टेस्टिंग ही कोरोना से लड़ने का सबसे कारगर हथियार है, लेकिन कोरोना वायरस को नियंत्रित करने की नींव टेस्टिंग ही है. सरकार को कोरोना से निपटने के लिए ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग किट्स की खरीद करनी चाहिए. उन्होंने नीतीश सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि कोरोना को रोकने के लिए हर जिले में एक जांच सेंटर बनाया जाए जहां पर लैब, विशेषज्ञ डॉक्टर और तकनीकि रूप से सक्षम लोगों की तैनाती भी हो. जांच की क्षमता प्रतिदिन 5000 तक बढ़ाया जाए.
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इसके बाद तेजस्वी यादव ने आगे कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने का दूसरा महत्वपूर्ण तरीका अस्पतालों की क्षमता बढ़ाना है. अस्पतालों में पीपीई किट्स, N-95 मास्क इत्यादि महत्वपूर्ण उपकरणों की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित कराना भी बहुत जरूरी है, लेकिन बिहार सरकार इन विषयों पर अभी उदासीन है. बिहार सरकार को अस्पतालों में नए ICU बेड, वेंटिलेटर की स्थिति को बढ़ाना चाहिए यथावत बनी हुई है. कोई नया ICU बेड या वेंटिलेटर अस्पतालों को नहीं मिला है.
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तेजस्वी ने राज्य सरकार पर अपना हमला जारी रखते हुए कहा कि हमने मुख्यमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में भी यह आग्रह किया था की कम से कम हरेक कमिशनरी में कोरोना समर्पित अस्पताल बनाया जाए. हरेक जिला नहीं तो कम से कम प्रमंडल में तो जांच की व्यवस्था होनी ही चाहिए. सरकार उल्टा भागलपुर में विलंब से शुरू किए गए जांच केंद्र को ही बंद कर रही है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि हम फिर बिहार सरकार को आगाह कर रहे हैं कि इस हेल्थ इमरजेंसी में अगर सरकार का ऐसा ही ढुलमुल रवैया रहा तो आगे इसके और भी विध्वंसक परिणाम होंगे.