मधेपुरा में स्कूल जाने के लिए हर दिन छात्र अपनी जान को जोखिम में डालते हैं. बहती नदी के बीच एक चचरी पुल पर हर रोज छात्रों का हुजूम देखने को मिलता है. थोड़ी सी चूक और यहां बड़ी अनहोनी हो सकती है. इन छात्रों की सुरक्षा की किसी को नहीं पड़ी है. वोट मांगने वाले जनप्रतिनिधियों और दफ्तर में बैठे अधिकारियों ने छात्रों की सुरक्षा और उनकी पढ़ाई दोनों ही भगवान भरोसे छोड़ रखी है. मधेपुरा की ये तस्वीर सरकार के विकास के दावों की पोल खोलती है.
हर दिन चचरी पुल पार करने को मजबूर
बहती नदी के तेज धारा के ऊपर से जुगाड़ु पुल के सहारे छात्र स्कूल पहुंच रहे हैं. पूरा मामला जिले के मुरलीगंज प्रखंड के नगर पंचायत वार्ड नंबर 2 का है. जहां कृष्णापुरी मुहल्ला के बेंगा नदी पर बने जुगाड़ु पुल पर चढ़ कर बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल पढ़ने जाते हैं. यहां सालों से पढ़ाई के लिए छात्र यूं ही जद्दोजहद करते हैं, लेकिन इसका सुनने वाला कोई नहीं.
छात्रों के लिए आवाजाही की सुविधा नहीं
मधेपुरा की ये तस्वीर शासन और प्रशासन की उदासीनता की बानगी करती है. ये वही मधेपुरा है जहां से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव सांसद रह चुके हैं. ये वही मधेपुरा है जो पूर्व सांसद पप्पू यादव का गृह जिला है और ये वही मधेपुरा है जहां से मौजूदा शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव विधायक हैं. सोचने वाली बात है कि जहां से चुनाव लड़कर चंद्रशेखर शिक्षा मंत्री बने उसी क्षेत्र में शिक्षा के अधिकारी के लिए भी बच्चों को जान जोखिम में डालना पड़ती है. जहां की जनता ने कई नेताओं को विधानसभा और लोकसभा तक पहुंचाया वहां की जनता को एक पुल तक नसीब नहीं है. हालात ये है कि पुल ना होने के चलते इस बस्ती में युवाओं की शादी भी नहीं हो पा रही है.
सालों से नहीं बना है एक अदद पुल
मधेपुरा की ये तस्वीर बताने को काफी है कि प्रदेश सरकार शिक्षा हो या विकास दोनों के लिए कितनी गंभीर है. एक तरफ बिहार में एक्सप्रेस वे और एयरपोर्ट के निर्माण के दावे हो रहे हैं और दूसरी ओर पढ़ने के लिए भी छात्र चचरी पुल का सहारा ले रहे हैं. तो ये सरकार और प्रशासन की कार्यशैली पर सवालिया निशान है.
रिपोर्ट : रूपेश कुमार
HIGHLIGHTS
- जान जोखिम में डालकर स्कूल जाते हैं छात्र
- हर दिन चचरी पुल पार करने को मजबूर
- छात्रों के लिए आवाजाही की सुविधा नहीं
- सालों से नहीं बना है एक अदद पुल
Source : News State Bihar Jharkhand