दोस्ती का कोई मजहब नहीं होता, मगर कुछ दोस्ती के किस्से मिशाल बन जाते हैं. जब मजहब के नाम पर नफरत फैलाने की कोशिश पुरजोर हो तो मिसाल सौहार्द का सबब बनते हैं. समाज में असामाजिक तत्वों के द्वारा समाज में नफरत फैलाने की कोशिश की जाती है, लेकिन यह यारी और दोस्ती उन्हें मुंहतोड़ जबाव देने को एकजुट है. हिंदू-मुस्लिम दोस्तों ने मजहब के नाम पर माहौल बिगाड़ने वालों को एक आईना दिखाया है. गया नगर निगम क्षेत्र के वार्ड संख्या 26 से पिछले 2002 से अबरार अहमद वार्ड पार्षद बनते आ रहे हैं. कई बार निर्विरोध भी चुने गए. निगम के पूर्व डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव भी अपना भाग्य वार्ड संख्या 11 से आजमा रहे थे, लेकिन जनता ने उन्हें नहीं चुना और वे चुनाव हार गए.
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दोस्त के लिए पार्षद पद से दिया इस्तीफा
वहीं डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव के खास दोस्त रहे अबरार अहमद ने मोहन श्रीवास्तव को अपने वार्ड से चुनाव लड़ाने के लिए खुद पार्षद पद से इस्तीफा दे दिया है. अपने दोस्त मोहन श्रीवास्तव को निगम भेजने को लेकर इस्तीफा दिया है. चूंकि मोहन श्रीवास्तव गया नगर निगम के वार्ड पार्षद का चुनाव हारने के बाद वापस निगम में भेजने के लिए दो ही जरिया बचा था. एक तो वार्ड 15 के होने वाले पार्षद पद के चुनाव में वह किस्मत आजमाते या किसी दूसरी सीट से निर्विरोध वे निगम में पार्षद के रूप में प्रवेश कर जाते.
दोस्ती के लिए पद की कुर्बानी
इस्तीफा दे चुके वार्ड पार्षद अबरार अहमद वार्ड संख्या 26 से तो वहीं पत्नी तबस्सुम प्रवीण वार्ड संख्या 25 से दोनों वार्डों से लगातार निर्विरोध चुनाव जीतते आ रहे हैं. अबरार अहमद ने बताया कि चुनाव में हारे डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव अपने दोस्त को अपने वार्ड से लड़वाने के लिए इस्तीफा देकर कुर्बानी दी है और दोस्ती की मिसाल पेश की. इसके साथ ही कहा कि मुझे विश्वास है कि मेरा दोस्त मेरे से बेहरत काम करेगा. इसके साथ ही बताया कि हमें विश्वास है कि हमसे बेहतर कार्य मोहन श्रीवास्तव करेंगे.
अल्पसंख्यक समाज के हक में यह निर्णय लेते हुए उनको निर्विरोध चुनाव यहां की जनता जिताएगी. समाज में हिंदू मुस्लिम के फीलिंग को समाप्त करना चाहते हैं. वहीं, वार्ड पार्षद का चुनाव हार चुके अबरार अहमद के दोस्त मोहन श्रीवास्तव ने उनको बधाई देते हुए कहा की समाज में हिंदू मुस्लिम के प्रति जो नजरिया है, उसे आइना दिखाने का कार्य किया है. आने वाले समय में निर्णय लेंगे की चुनाव लड़ेंगे या नहीं.
HIGHLIGHTS
- हिंदू-मुस्लिम की दोस्ती बनी मिसाल
- दोस्त के लिए छोड़ा पद
- निर्विरोध बने थे वार्ड पार्षद
Source : News State Bihar Jharkhand