बिहार के कई जिलों को हर वर्ष बाढ़ की त्रासदी झेलनी पड़ती है. इस बार भी कोसी नदी में रिकॉर्ड तोड़ पानी छोड़ा गया. लोग डरे हुए थे कि कहीं फिर से उन्हें वहीं सबकुछ ना झेलना पड़े, लेकिन इस बार बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग ने जो इंतजाम किए थे. उस कारण वैसी खतरनाक स्थिति नहीं हो सकी. इस बार लोगों को बढ़ की त्रासदी नहीं झेलनी पड़ी. जल संसाधन मंत्री संजय झा ने बताया कि हर साल से ज्यादा पानी नेपाल से छोड़ा गया था, लेकिन हम इसके लिए पहले से तैयार थे.
1989 के बाद सबसे ज्यादा कोसी नदी में आया पानी
मंत्री संजय झा ने कहा कि 1989 के बाद सबसे ज्यादा पानी इसी बार कोसी नदी में आया था. 2008 में कुसहा त्रसदी हुआ था. उससे भी ज्यादा पानी इस बार कोसी नदी में आया था. इस बार पानी का प्रेशर इतना था कि बीरपुर बैराज का 56 फाटक खोलना पड़ा. बिहार सरकार की ऐसी तैयारी थी कि लोगों को इस बार ज्यादा परेशानी नहीं हुई.
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नेपाल से आता है बाढ़ का पानी
उन्होंने कहा कि हम लोगों की पूरी तैयारी है, लेकिन बिहार सरकार के सामने परेशानी यह है कि बाढ़ का पानी नेपाल से आता है. इसको लेकर केंद्र सरकार के तरफ से दोनों देशों के बीच बातचीत करके समाधान निकाला जा सकता है. फिर भी बिहार सरकार की तरफ से जो हो सकता है. वह किया जा रहा है और बिहार सरकार हमेशा अलर्ट मोड में है. उत्तर बिहार के कई जिलों से बाढ़ की विभीषिका के कारण पलायन हो रहा है. इसके अलावे हर वर्ष बिहार सरकार का हजारों करोड़ रुपये आपदा मद में खर्च हो रहे हैं. जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा कि बिहार में बाढ़ के स्थाई समाधान के लिए एकमात्र विकल्प है कि नेपाल एरिया में हाई डैम का निर्माण करवाया जाए.
व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया
मंत्री संजय झा ने कहा कि बिहार सरकार बाढ़ को लेकर के हमेशा तत्पर है. इसको लेकर विभाग में एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है. जिसका नाम नाइट पेट्रोलिंग है. इस ग्रुप में मंत्री से लेकर तमाम सभी अधिकारी जुड़े हुए हैं और हर तटबंध पर इंजीनियर को रात में जाकर स्पोर्ट वेरिफिकेशन करते हुए फोटो डालना पड़ता है. ताकि विभाग यह जान सके कि उस बांध की स्थिति अभी कैसी है. इसके अलावा मौसम विभाग से भी जानकारी ली जाती है कि किस इलाके में वर्षा की कैसी स्थिति है और उसको लेकर कितना अलर्ट रहने की जरूरत है.
इस साल लोगों को बाढ़ से मिली राहत
उन्होंने कहा कि विभाग के तत्परता के कारण ही लोगों को इस साल बाढ़ से राहत मिली है. जिसका परिणाम इस बार कोसी एवं मिथिला के क्षेत्र में देखने को मिला है. जिन इलाकों में महीनों बाढ़ का पानी जमा रहता था. वहां इस बार पानी नहीं है. जल संसाधन विभाग इस बात को लेकर अब काम कर रही है कि बाढ़ के समय में जो पानी आती है. उस पानी का उपयोग आम लोगों के लिए कैसे किया जाए उसका स्टोरेज किया कैसे किया जाए. उस दिशा में काम किया जा रहा है ताकि लोगों को पानी की समस्या से नहीं जूझना पड़े.
रिपोर्ट - आदित्य झा
HIGHLIGHTS
- 1989 के बाद सबसे ज्यादा कोसी नदी में आया पानी
- नेपाल से आता है बाढ़ का पानी
- व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया
- इस साल लोगों को बाढ़ से मिली राहत
Source : News State Bihar Jharkhand