पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट कृषि रोड मैप पर लगातार सवाल उठाते रहे हैं. ऐसे में एक बार फिर सुधाकर सिंह ने कहा सरकार किसानों के हित में काम नहीं कर रही है. नीतीश कुमार मक्का और चावल से इथेनॉल बनाने के केंद्र और बिहार सरकार की नीति ठीक नहीं है. ऐसे में 2006 से कृषि मंडी कानून भी खत्म हो गया. केंद्र सरकार ने भी अपनी नीति बदल ली है, लेकिन बिहार सरकार अब भी नए कृषि रोड मैप को लेकर कुछ नहीं कर रही है. इससे पहले भी पुराने कृषि रोड मैप को लेकर सुधाकर सिंह ने कई बार नीतीश सरकार पर निशाना साधा है.
सुधाकर सिंह ने कहा कि दूसरे-तीसरे कृषि रोड मैप से किसानों को कोई लाभ नहीं मिला. दूसरे-तीसरे कृषि रोड मैप का लाभ-हानि का आकलन नहीं किया गया. किसानों की आमदनी और उत्पादन नहीं बढ़ा. ऐसे में मुद्दा ये उठता है कि बिहार के लिए कितना जरूरी है कृषि रोड मैप ? क्या कृषि रोड मैप की कमी अब बिहार के किसानों को सच में सता रही है? या कृषि रोड मैप के जरिए सत्ता और विपक्ष दोनों सिर्फ और सिर्फ राजनीति ही कर रही है.
वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व कृषि विधायक सुधाकर सिंह पर तीखा हमला किया है. उन्होंने कहा कि सुधाकर सिंह क्या बोलते हैं नहीं बोलते हैं, उससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है. राज्य में कृषि के क्षेत्र में बहुत काम हुआ है. सब लोगों को मालूम है. हमारी सरकार किसानों के लिए समर्पित है. हमलोग हमेशा किसानों के लिए ही काम करते रहे हैं. जिसको पता नहीं है.
कब-कब लागू हुआ कृषि रोड मैप
2007 में लागू हुआ था पहला कृषि रोड मैप
2012 में दूसरा कृषि रोड मैप लागू हुआ था
2017 में तीसरा कृषि रोड मैप लागू हुआ था
5 साल बाद चौथा कृषि मैप लाने की तैयारी
चौथे कृषि रोड के उद्देश्य और संभावनाएं
जलवायु अनुकूल कृषि प्रणालियों का अंगीकरण
फसल विविधीकरण को बढ़ावा
सघन कृषि प्रोत्साहन
ई-कामर्स को बढ़ावा
कृषि उद्यमिता का विकास
फसल अवशेष का टिकाऊ प्रबंधन
फसल-मांग आधारित बाजार व्यवस्था
समेकित कृषि प्रणाली
शीत गृहों की स्थापना
निजी भंडार गृह प्रोत्साहन
रासायनिक उर्वरकों के विकल्प का विकास
कृषि ऋण की सुगम उपलब्धता
वैकल्पिक उद्यमों का समावेश
पुरातन स्थानीय प्रजातियों का संरक्षण
पुराने कृषि रोड मैप पर सुधाकर सिंह ने क्या कहा ?
दूसरे-तीसरे कृषि रोड मैप से किसानों को कोई लाभ नहीं मिला.
दूसरे-तीसरे कृषि रोड मैप का लाभ-हानि का आकलन नहीं किया गया.
किसानों की आमदनी और उत्पादन नहीं बढ़ा.
बिहार और बाहर दो संस्थाओं से अध्यन कराया जाएगा.
किसानों की न्यूनतम आय सुनिश्चित की जाए.
पूरे मार्केटिंग के तंत्र को बदला जाए.
खेती के इनपुट कॉस्ट को घटाने के लिए रिसर्च हो.
एग्रो बेड्स खेती के अलावा हॉटिकल्चर पर ध्यान दिया जाए.
न्यूट्रिशन वैल्यू बेहतर बनाने के लिए काम किया जाए.
किसानों तक पानी पहुंचाना सुनिश्चित किया जाए.
माप तौल विभाग वसूली विभाग है.
बीज से लेकर बाजार तक व्यवस्था खराब है.
2006 में कृषि मंडी कानून खत्म हो गया.
केंद्र सरकार ने भी मंडी कानून बदल दिया है.
बिहार सरकार ने अपनी पीठ थपथपा ली कि चलो हमारे रास्ते पर केंद्र की सरकार चल पड़ी.
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HIGHLIGHTS
- कृषि रोड मैप पर सुधाकर सिंह के सवाल
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सुधाकर सिंह का बयान
- दूसरे-तीसरे कृषि रोड मैप से किसानों को कोई लाभ नहीं
Source : News State Bihar Jharkhand