बिहार के सीएम नीतीश कुमार खुद को पीएम पद का उम्मीदवार नहीं मानते हैं. उन्होंने कहा है कि मैं पीएम पद का उम्मीदवार नहीं हूं. सब बीजेपी को हराना चाहते हैं इसलिए एकजुट होने की जरूरत है. सीएम नीतीश कुमार ने एक और बड़ी बात स्पष्ट की है कि बिहार का 2025 में होनेवाले विधानसभा चुनाव को डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. वहीं, जेडीयू खुद को राष्ट्रीय पार्टी बनाने के लिए भी लगातार मेहनत कर रही है. इसी के तहत यूपी और झारखंड के प्रभारियों की नियुक्ति भी कर दी गई है. यूपी का जेडीयू प्रभारी श्रवण कुमार को बनाया गया है जबकि अशोक चौधरी को झारखंड का जेडीयू प्रभारी बनाया गया है.
नीतीश कुमार ने मंगलवार को महागठबंधन के सभी दलों के विधायकों और विधान पार्षदों की बैठक में उक्त बाते कहीं. उन्होंने डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की तरफ इशारा करते हुए कहा कि अब तेजस्वी को आगे करना है. साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी पीएम और सीएम बनने की इच्छा नहीं है. अब बीजेपी को हराना ही उनका मकसद है.
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सीएम नीतीश कुमार के इस बयान पर हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि सीएम नीतीश द्वारा इस बात को स्पष्ट कर दिया गया है कि आने वाला वक्त बिहार में तेजस्वी यादव का है. तेजस्वी अच्छा काम कर रहे हैं. राज्य की उन्हें चिंता है. युवाओं की चिंता कर रहे हैं. अगर वो आगे बढ़ रहे हैं तो महागठबंधन भी आगे बढ़ेगा.
बिहार की सियासत में लगातार कई प्रयोग करने वाले नीतीश कुमार विपक्षी एकता के उस प्रयोग को ज़ोर शोर से करने को लेकर उत्साहित हैं, जो प्रयोग सियासत के इतिहास में अब तक नाकाम ही साबित होता रहा है. कुढ़नी उपचुनाव में करारी हार के साथ ही बिहार में महागठबंधन बनने के बाद तीन उपचुनावों में 1-2 से हार का रिजल्ट एक तरफ है, दूसरी तरफ घर में हार के बाद भी 2024 में बीजेपी मुक्त भारत बनाने की नीतीश की ललकार है, लेकिन जिस विपक्षी एकता के बूते मेन फ्रंट की बात नीतीश कर रहे हैं, उस एकता की कोशिश में नीतीश को ज्यादा बेहतर रिस्पॉंस नहीं मिला. हालांकि, आरजेडी जरूर गाहे बगाहे तेजस्वी को बिहार सौंप कर उन्हें पीएम की कुर्सी पर बिठाने की बात करता है, लेकिन आरजेडी के अलावा किसी नेता ने खुलकर नीतीश की मुहिम को लेकर ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया. अब सीएम नीतीश कुमार का ये बयान कि वो पीएम प्रत्याशी नहीं हैं पर राजनीति होनी तय है.
नीतीश के मेन फ्रंट में कितने रोड़े?
- नीतीश की विपक्षी एकता की कवायद अब तक नाकाम रही
- महागठबंधन बनने के बाद से कई नेताओं से मुलाकात में नहीं बनी बात
- पहला झटका सोनिया गांधी ने लालू-नीतीश को तरजीह नहीं देकर दिया
- दूसरा झटका कांग्रेस के 'सोचेंगे' वाले बयान से लगा
- तीसरा झटका राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से लगा
- सभी क्षेत्रीय दलों की महत्वाकांक्षा से भी नीतीश के मिशन को झटका
- नीतीश-केसीआर के साथ मुलाकात में पीएम उम्मीदवार पर सहमति नहीं
- दो बार नीतीश कुमार दिल्ली जाकर कई नेताओं से मिले, ठोस बात नहीं बनी
- सिर्फ आरजेडी ने पीएम उम्मीदवार माना, लेकिन बाकी भी मानेंगे?
HIGHLIGHTS
- सीएम नीतीश खुद को नहीं मानते PM मैटेरियल
- बीजेपी को हराना ही मकसद-CM नीतीश
Source : Shailendra Kumar Shukla