IAS संजीव हंस और Ex MLA गुलाब यादव बुरे फंसे, रेप केस में FIR दर्ज करने के आदेश

कोर्ट ने दोनों रसूखदारों के खिलाफ पटना के रूपसपुर थाने को FIR दर्ज करने का आदेश दिया है.

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Shailendra Shukla
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फाइल फोटो( Photo Credit : File Photo)

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बिहार के वरिष्ठ आईएएस अफसर संजीव हंस और आरजेडी के पूर्व विधायक गुलाब यादव की मुश्किलें बढ़ गई हैं. दरअसल, दोनों के खिलाफ 2021 में दाखिल किए गए एक वाद का निस्तारण करते हुए दानापुर की एसीजेएम कोर्ट ने रेप का मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने दोनों रसूखदारों के खिलाफ पटना के रूपसपुर थाने को FIR दर्ज करने का आदेश दिया है. वहीं, पुलिस जांच में ये बात सामने आई है कि IAS संजीव हंस औऱ गुलाब यादव पीड़ित महिला के साथ दिल्ली के एक होटल में वारदात के समय मौजूद थे.

दोनों पर महिला ने लगाया रेप करने का आरोप

दो साल पहले महिला ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन विधायक गुलाब यादव ने उसे महिला आयोग का सदस्य बनाने का प्रलोभन दिया था और पटना के रूकनपुरा में बने अपने फ्लैट पर बुलाया था. वहां उसके साथ उन्होंने रेप किया था और उसका वीडियो भी बना लिया था. वीडियो बनाने के बाद उसे लगातार ब्लैक मेल किया जाता रहा. इस दौरान उसे दिल्ली के एक होटल में भी बुलाया गया था जहां आईएएस अफसर संजीव हंस भी मौजूद थे और दोनों ने मिलकर महिला को नशीला पदार्थ खिलाकर उसके साथ रेप किया था.

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हाईकोर्ट के आदेश पर दोबारा शुरू हुई ACJM कोर्ट में सुनवाई

बता दें कि इससे पहले ACJM कोर्ट ने रेप पीड़िता की याचिका इस आधार पर खारिज कर दी थी कि रेप पीड़िता निश्चित तिथियों पर कोर्ट नहीं आती थी. जब ACJM कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई तो हाईकोर्ट ने मामले की फिर से सुनवाई करने का आदेश दिया साथ ही ACJM कोर्ट के खिलाफ कई टिप्पणी की थी. दरअसल, मामला हाईप्रोफाइल होने के कारण पुलिस द्वारा ACJM कोर्ट में रिपोर्ट नहीं दाखिल की जा रही थी और समय के साथ रेप पीड़िता ने कोर्ट जाना बंद कर दिया और उसकी इसी खामियों को आधार बनाकर ACJM कोर्ट ने उसकी य़ाचिका खारिज कर दी थी.

पटना पुलिस ने ACJM कोर्ट में नहीं दाखिल की रिपोर्ट

मामला 2021 का है.  बिहार के IAS अधिकारी संजीव हंस और राजद के पूर्व विधायक गुलाब यादव के खिलाफ एक महिला ने दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था. कई बार महिला द्वारा पुलिस के समक्ष तहरीर दी गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. मजबूर होकर महिला ने दानापुर ACJM की न्यायालय में आपराधिक वाद दोनों के खिलाफ दायर किया था. मामले में ACJM कोर्ट द्वारा पटना पुलिस से रिपोर्ट मांगी गई थी लेकिन पुलिस द्वारा कोई रिपोर्ट न्यायालय में नहीं दाखिल की गई. रेप पीड़िता बार-बार अदालत इस दौरान आती रही लेकिन पुलिस की रिपोर्ट नहीं आई. मजबूर होकर रेप पीड़िता ने कोर्ट आना बंद कर दिया और इस बीच एसीजेएम कोर्ट ने पीड़िता का वाद इस आधार पर खारिज कर दिया था कि वो अदालत द्वारा तय की गई तिथियों पर नहीं आती थी.

पटना पुलिस को हाईकोर्ट ने माना दोषी

पटना हाईकोर्ट ने रेप पीड़िता की शिकायत पर अपने आदेश में स्पष्ट कथन किया है कि पटना पुलिस को इस मामले की प्राथमिक जांच रिपोर्ट दानापुर ACJM कोर्ट में पेश करनी है. हाईकोर्ट ने पटना पुलिस को FIR दर्ज ना करने और फिर ACJM कोर्ट में रिपोर्ट मांगने पर रिपोर्ट ना दाखिल करने का दोषी पाया है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया है कि पटना पुलिस को इस मामले की जांच रिपोर्ट देनी होगी. 

HIGHLIGHTS

  • पीड़िका ने 2021 में ACJM कोर्ट में दायर किया था वाद
  • पहले ACJM कोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका
  • हाईकोर्ट के आदेश पर फिर शुरू की सुनवाई
  • अब दोनों आरोपियों के खिलाफ रेप का केस दर्ज करने का दिया आदेश

Source : News State Bihar Jharkhand

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