बिहार के वरिष्ठ आईएएस अफसर संजीव हंस और आरजेडी के पूर्व विधायक गुलाब यादव की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ गई हैं. दोनों के खिलाफ रेप मामले में सुनवाई पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद फिर से दानापुर ACJM कोर्ट में शुरू हो गई है. ACJM की कोर्ट ने मामले में पटना पुलिस से तत्काल कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. बता दें कि इससे पहले ACJM कोर्ट ने रेप पीड़िता की याचिका इस आधार पर खारिज कर दी थी कि रेप पीड़िता निश्चित तिथियों पर कोर्ट नहीं आती थी.
जब ACJM कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई तो हाईकोर्ट ने मामले की फिर से सुनवाई करने का आदेश दिया साथ ही ACJM कोर्ट के खिलाफ कई टिप्पणी की थी. दरअसल, मामला हाईप्रोफाइल होने के कारण पुलिस द्वारा ACJM कोर्ट में रिपोर्ट नहीं दाखिल की जा रही थी और समय के साथ रेप पीड़िता ने कोर्ट जाना बंद कर दिया और उसकी इसी खामियों को आधार बनाकर ACJM कोर्ट ने उसकी य़ाचिका खारिज कर दी थी.
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पटना पुलिस ने ACJM कोर्ट में नहीं दाखिल की रिपोर्ट
मामला 2021 का है. बिहार के IAS अधिकारी संजीव हंस और राजद के पूर्व विधायक गुलाब यादव के खिलाफ एक महिला ने दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था. कई बार महिला द्वारा पुलिस के समक्ष तहरीर दी गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. मजबूर होकर महिला ने दानापुर ACJM की न्यायालय में आपराधिक वाद दोनों के खिलाफ दायर किया था. मामले में ACJM कोर्ट द्वारा पटना पुलिस से रिपोर्ट मांगी गई थी लेकिन पुलिस द्वारा कोई रिपोर्ट न्यायालय में नहीं दाखिल की गई. रेप पीड़िता बार-बार अदालत इस दौरान आती रही लेकिन पुलिस की रिपोर्ट नहीं आई. मजबूर होकर रेप पीड़िता ने कोर्ट आना बंद कर दिया और इस बीच एसीजेएम कोर्ट ने पीड़िता का वाद इस आधार पर खारिज कर दिया था कि वो अदालत द्वारा तय की गई तिथियों पर नहीं आती थी.
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पटना पुलिस को हाईकोर्ट ने माना दोषी
पटना हाईकोर्ट ने रेप पीड़िता की शिकायत पर अपने आदेश में स्पष्ट कथन किया है कि पटना पुलिस को इस मामले की प्राथमिक जांच रिपोर्ट दानापुर ACJM कोर्ट में पेश करनी है. हाईकोर्ट ने पटना पुलिस को FIR दर्ज ना करने और फिर ACJMकोर्ट में रिपोर्ट मांगने पर रिपोर्ट ना दाखिल करने का दोषी पाया है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया है कि पटना पुलिस को इस मामले की जांच रिपोर्ट देनी होगी.
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पुलिस महकमे में मची खलबली
हाईकोर्ट के आदेश के बाद पटना पुलिस के आलाधिकारियों में खलबली मच गई है. पुलिस द्वारा अब तक इस हाईप्रोफाइल मामले में किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई है लेकिन अब जब हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप कर दिया है तो पुलिस को मजबूरन आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ेगी और अब पुलिस मामले को दबा नहीं पाएगी. उसो कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करना ही होगा.
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रेप पीड़िता के आरोप
2016 में पूर्व विधायक गुलाब यादव ने महिला आयोग का सदस्य बनाने का रेप पीड़िता को प्रलोभन दिया था. आरोप है कि गन पॉइंट पर गुलाब यादव द्वारा उसके साथ दुष्कर्म किया गया. जब पीड़िता एफआईआर कराने गई तो उसे जान से मारने की धमकी दी गई. नतीजा पीड़िता चुप रही. इसके बाद 2017 में गुलाब यादव ने संजीव हंस जो अभी ऊर्जा विभाग के सचिव हैं उनको अपने साथ लेकर आए और पीड़िता के साथ दोनों ने मिलकर रेप किया.
2018 में महिला ने दिया बच्चे को जन्म
रेप पीड़िता का कहना है कि 2018 में उसने एक बच्चे को जन्म दिया लेकिन गुलाब यादव और संजीव हंस दोनों ने किनारा कर लिया. इसके बाद भी दोनों कई साल तक महिला का शोषण करते रहे. पीड़ित महिला का ये भी कहना है कि हाईकोर्ट ने ये भी आदेश दिया है कि संजीव हंस का डीएनए टेस्ट कराया जाए. रेप पीड़िता पेशे से अधिवक्ता है.
HIGHLIGHTS
- 2016 में पीड़िता के साथ किया गया था रेप
- IAS संजीव हंस और आरजेडी नेता गुलाब यादव पर आरोप
- ACJM कोर्ट में फिर शुरू हुई सुनवाई
- पहले ACJM कोर्ट ने खारिज की थी याचिका
- पटना पुलिस की बड़ी लापरवाही आई सामने
- हाईकोर्ट के आदेश पर शुरू की गई सुनवाई
Source : News State Bihar Jharkhand