अधिग्रहण भूमि का उचित मुआवजा नहीं मिलने को लेकर किसानों ने आंदोलन व आत्मदाह की धमकी दी है. इतना ही नहीं किसानों ने कहा कि जान दे देंगे, लेकिन अपनी जमीन नहीं देंगे. एक हीं गांव में 5वीं बार भूमि अधिग्रहण हो रहा है. इसी के साथ अपना दर्द बयां करते हुए किसानों ने कहा कि अब खेती क्या रहने के लिए भी घर नहीं बच सकेंगे. बताया बेटी की शादी के लिए जमीन रखा था, लेकिन सरकार उचित मुआवजा नहीं दे रही है. भूमि आवासीय है और मुआवजा खेती का मिल रहा है.
गया में प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान भवन के निर्माण के लिए गया के नगर प्रखंड के कोसडीहरा गांव के 42 किसानों की भूमि का सरकार द्वारा अधिग्रहण की जा रही है, लेकिन अधिग्रहित की जाने वाली भूमि का उचित मुआवजा नहीं मिलने के कारण गांव का पूरा ग्रामीण व किसान आंदोलन छेड़ने के मूड में दिख रहे हैं.
ग्रामीण राज रंजन सिंह चौहान ने बताया की 5वीं बार इस गांव के जमीन को सरकार द्वारा अधिग्रहण की जा रही है, जिससे कुछ दिनों के बाद गांव का नामोनिशान हीं समाप्त हो जायेगा. कुछ ऐसे किसान हैं, जिनकी अधिकांश भूमि अधिग्रहित होगी. इससे उन्हें जीविकापर्जन तक मुश्किल हो जायेगा. चूंकी पहले भी इनकी जमीन अधिग्रहित की जा चुकी है. अब तो उनके पास न खेती करने के लिए भूमि बचेगी और ना रहने के लिए कहा कि सरकार के द्वारा गांव के तालाबों को भी अधिग्रहित की जा रही है. जिससे शेष बचे भूमि पर सिंचाई करना मुश्किल हो जायेगा.
बताया कि उचित मुआवजा देकर भूमि अधिग्रहण करने या भूमि को छोड़ने को लेकर हाईकोर्ट में मामला दायर किया था, लेकिन कोरोना की वजह से सुनवाई नहीं हो सकी है. अब ऐसे में नगर सीओ और सदर एसडीओ के द्वारा ग्रामीणों को बुलाकर डरा-धमकाकर भूमि को अधिग्रहित करने की कोशिश कर रहे हैं. बताया कि सरकारी कार्य में बाधा डालने का प्राथमिकी दर्ज कर ग्रामीणों को जेल भेज दिया जाएगा.
गांव के वृद्ध महिला किसान बताती है की छोटे किसान है. इसी खेती से जीविकापर्जण चलता है. घर में बेटी की शादी करनी है, जिसके लिए जमीन बेचकर शादी करना हीं एकमात्र विकल्प है और सरकार 18 हजार रुपए डिसीमल रेट के हिसाब से भूमि अधिग्रहण करती है तो पेट पर आफत के साथ-साथ बेटी की शादी तक नहीं हो सकेगी.
वहीं वृद्ध किसान शिवपूजन सिंह ने बताया की जब तक हाईकोर्ट का फैसला नहीं आ जाता है तब तक सरकार को भूमि अधिग्रहण पर रोक लगानी चाहिए थी. सरकार के इस तानाशाही रवैए से परेशान होकर आंदोलन करेंगे. इसके बाबजूद भी सरकार उचित मुआवजा नहीं देती है तो आत्मदाह तक करने को मजबूर होंगे.
ग्रामीण शैलेंद्र सिंह ने बताया की हाईवे किनारे गांव है जिसे खेती का रेट देकर भूमि अधिग्रहण की जा रही है. जब आवासीय का सरकार टैक्स लेती है तो मुआवजा भी आवासीय का मिलना चाहिए. कहा कि किसानों का कोई दुकान या व्यवसाय नहीं है. इसी भूमि पर खेती कर पेट भरते हैं और शादी जैसे समारोह के लिए उसी जमीन को बेच कर बेटियों की शादी तक करते हैं.
Source : News Nation Bureau