बिहार का बोधगया देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों में गिना जाता है. जहां देश-दुनिया के कोने-कोने से लोग महाबोधि मंदिर के दर्शन करने आते हैं. महात्मा बुद्ध को ज्ञान देने वाली इस धरती की रौनक ही यहां आने वाले श्रद्धालु होते थे, लेकिन आज बोध धर्म के आस्था का केंद्र कहा जाने वाला बोधगया पर्यटकों के लिए तरस रहा है. कोरोना के बाद अब श्रीलंका के आर्थिक मंदी के कारण बोधगया में पर्यटन उद्योग मंदी के कगार पर है. फरवरी महीनें में कभी श्रीलंकाई पर्यटकों से ये गुलजार हुआ करता था, लेकिन आज सन्नाटा पसरा है.
श्रीलंका में आर्थिक मंदी श्रीलंका में हुई आर्थिक मंदी का सीधा असर बोधगया में देखने को मिल रहा है. कोरोना की मार से पर्यटन स्थल उबरने की कोशिश कर ही रहा था कि श्रीलंका की आर्थिक मंदी ने एक बार फिर यहां के पर्यटन उद्योग को लगभग ठप्प कर दिया है. पर्यटन से जुड़े कारोबारियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
सूनी हुई सड़कें टूरिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष की मानें तो हर साल फरवरी महीने में श्रीलंकाई पर्यटकों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता था और हजारों की संख्या में श्रीलंका के पर्यटक बोधगया आते थे. जिससे जिले में पर्यटन से जुड़े व्यापार को बढ़ावा मिलता था. पर्यटकों की भीड़ ना सिर्फ रोजगार के अवसर लाती थी. बल्कि इससे जिले के आर्थिक विकास में भी मदद मिलती थी, लेकिन श्रीलंका में आई राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता ने बोधगया के पर्यटन पर सबसे ज्यादा प्रभाव डाला है. जिसका नतीजा है कि कभी भीड़ से खचाखच भरी सड़कें आज सूनी लगती हैं.
पहले कोरोना ने तोड़ी थी कमर गौरतलब है कि कोरोना ने पहले ही पर्यटन उद्योग को काफी प्रभावित किया है. ऐसे में श्रीलंका में जारी आर्थिक संकट हालातों को बदतर बना रही है. ऐसे में उम्मीद है कि बोधगया में पर्यटन से जुड़े लोगों के लिए सरकार कोई पहल करें ताकि उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना ना करना पड़े.