Independence Day Special: देश में एकमात्र आश्रम, जहां नरम दल और गरम दल की होती थी बैठक

चंपारण सत्याग्रह से पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अपनी शर्तों पर हाजीपुर के गांधी आश्रम आए थे. यह एकमात्र ऐसी जगह थी, जहां नरम दल और गरम दल दोनों की बैठक होती थी.

author-image
Vineeta Kumari
New Update
amrit mahotsav

नरम दल और गरम दल की होती थी बैठक( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

Advertisment

चंपारण सत्याग्रह से पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अपनी शर्तों पर हाजीपुर के गांधी आश्रम आए थे. यह एकमात्र ऐसी जगह थी, जहां नरम दल और गरम दल दोनों की बैठक होती थी. कहते हैं विश्व की प्रथम गणतंत्र वैशाली की धरती पर आने के लिए राष्ट्रपिता बापू से कई बार आग्रह किया गया था, लेकिन उन्होंने हाजीपुर के स्टेशन के पास के स्थान पर आने के लिए शर्त रखी थी. उनका कहना था जहां जमीन दान में मिलेगा, वहां आजादी के दीवानों की बैठक होगी तो ही वह हाजीपुर आएंगे.  

बताया जाता है कि तब बापू की बात का मान रखते हुए एक व्यक्ति ने अपनी जमीन दान में दी थी और महात्मा गांधी चंपारण आंदोलन से पहले 7 दिसंबर 1920 को हाजीपुर के गांधी आश्रम आए थे. यही नहीं इन्होंने गांधी आश्रम की नींव रखी थी, जहां बाद में एक कुटिया बनाया गया. जिसमें नरम और गरम दल की अलग-अलग बैठकर हुआ करती थी. इस गांधी आश्रम में चंद्रशेखर आजाद सहित तमाम स्वतंत्रता सेनानी आ चुके हैं. 

राजगुरु, सुखदेव और भगत सिंह को जिस गद्दार फनींद्र घोष के बयान पर फांसी की सजा हुई थी, उसकी हत्या का जिम्मा इसी गांधी आश्रम में लॉटरी सिस्टम के जरिए लालगंज के रहने वाले बैकुंठ शुक्ल को दिया गया था. जिसे पूर्ण करते हुए बैकुंठ शुक्ल ने बेतिया में फनींद्र घोष की हत्या की थी, जिसके बाद उन्हें गया के सेंट्रल जेल में फांसी की सजा दे दी गई थी. 

गांधी आश्रम अपने साथ आजादी के दीवानों की कई यादों को सहेजे हुए हैं.  बाद में यहां पार्क और संग्रहालय का निर्माण करवाया गया, जिसे देखने दूरदराज से लोग आते हैं. गांधी आश्रम के संग्रहालय में दर्जन भर से ज्यादा स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियां लगी हुई है. वहीं आजादी के पहले के कई साक्ष्य इस संग्रहालय की खूबसूरती को चार चांद लगाते हैं.

ताम्र पत्र से सम्मानि स्वतंत्रता सेनानी सूरजदेव सिंह आजाद के पुत्र शशि भूषण सिंह बचपन से ही गांधी आश्रम को सहेजते और संवारते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि गांधी आश्रम में खुद महात्मा गांधी आए थे. उनका पहले से कार्यक्रम तय नहीं था. इसलिए उन्हें छुपाकर यहां लाया गया था, क्योंकि उन्हें ऐसे ही यहां लाया जाता तो बड़ी संख्या में भीड़ जमा हो जाती और उनके पूर्वनियोजित कार्यक्रम में विलंब हो जाता. गांधी आश्रम के विकास में सबसे अहम भूमिका स्थानीय समाजसेवी अवधेश सिंह का बताया जाता है. भारत में एकमात्र गांधी आश्रम है, जहां नरम दल और गरम दल दोनों की बैठक होती थी. यहां नींव देने महात्मा गांधी स्वयं आए थे.

Source : News Nation Bureau

har-ghar-tiranga 75th-independence-day Mahatma Gandhi 75th Azadi Ke Amrit Mahotsav freedom fighters of India
Advertisment
Advertisment
Advertisment