देश के किसी गली मोहल्ले में चले जाइए आपको क्रिकेट खेलते बच्चे मिल जाएंगे, लेकिन पूर्णिया में एक ऐसा गांव है जहां क्रिकेट की नहीं बल्कि फुटबॉल की दीवानगी है. फुटबॉल को लेकर दीवानगी ऐसी कि इस गांव के कई खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जिले और बिहार का नाम रौशन किया है. पूर्णिया से महज 3 किलोमीटर दूर स्थित झील टोला के युवाओं की सुबह फुटबॉल से तो शाम ट्रेनिंग के साथ खत्म होती है. यहां हर घर में कोई ना कोई फुटबॉल खिलाड़ी है. इस गांव का नाम झील टोला है, लेकिन ना तो यहां झील है ना पक्षी. यहां प्रतिभावान फुटबॉलर्स हैं, जिन्होंने बड़े-बड़े मंचों पर पूर्णिया और बिहार का नाम रौशन किया है. इस गांव के कई युवा राष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल में अपनी पहचान बना चुके हैं. बहुतों को फुटबॉल के आधार पर नौकरी भी मिल चुकी है. इस गांव के लिए फुटबॉल टूर्नामेंट किसी उत्सव से कम नहीं होता. यहां के घर में रोनाल्डो और मेस्की तस्वीर दिखती है तो युवाओं की आंखों में कुछ कर गुजरने का सपना.
टूर्नामेंट का क्रेज
आदिवासी बहुल इस गांव में अगस्त के महीने में बड़े स्तर पर टूर्नामेंट का आयोजन किया जाता है और टूर्नामेंट का क्रेज ऐसा कि लोग सरहुल के मौके पर आए या ना आए, लेकिन 15 दिनों तक चलने वाले इस टूर्नामेंट का फाइनल हर कोई देखना चाहता है. जहां आज कल के युवा सरकारी नौकरी के पीछे भागते हैं वहीं इस गांव के युवाओं का सपना फुटबॉलर बनने का होता है. हालांकि सरकार की ओर से युवाओं को कोई प्रोत्साहन नहीं दिया जाता. हालांकि इस गांव के ज्यादातर युवा फौज में है.
फुटबॉलरों का टोला
बहरहाल, पूर्णिया का झील टोला अब फुटबॉलरो का टोला कहलाने लगा है. जहां की युवा पीढ़ी फुटबॉल को ही जीने का मकसद बना चुके हैं. यहां के युवाओं में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, लेकिन जरूरत है सरकार की नजर-ए-इनायत की ताकि प्रतिभा को शासन प्रशासन का साथ मिले और युवा अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी प्रदेश का नाम रौशन करे.
रिपोर्ट : संतोष नायक
HIGHLIGHTS
- पूर्णिया के युवाओं में फुटबॉल की दीवानगी
- हर घर में है रोनाल्डो और मेस्सी
- राष्ट्रीय स्तर पर कई युवाओं ने बनाई अपनी पहचान
Source : News State Bihar Jharkhand