Rohtas News: जीतकर भी जिंदगी की जंग हार गया मासूम रंजन

रोहतास के सोन पुल के पिलर में फंसे मासूम को एसडीआरएफ और एनडीआरएफ द्वारा निकाल तो लिया गया लेकिन अब खबर आ रही है कि रंजन की अस्पताल ले जाते समय रास्ते में मौत हो गई. रंजन के पिता के मुताबिक, रंजन की मौत पहले ही हो गई थी लेकिन प्रशासन द्वारा उसकी मौत की खबर छिपाई गई थी.

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Shailendra Shukla
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रंजन की अस्पताल ले जाने के क्रम में मौत हो गई( Photo Credit : न्यूज स्टेट बिहार झारखंड)

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रोहतास के सोन पुल के पिलर में फंसे मासूम को एसडीआरएफ और एनडीआरएफ द्वारा निकाल तो लिया गया लेकिन अब खबर आ रही है कि रंजन की अस्पताल ले जाते समय रास्ते में मौत हो गई. रंजन के पिता के मुताबिक, रंजन की मौत पहले ही हो गई थी लेकिन प्रशासन द्वारा उसकी मौत की खबर छिपाई गई थी. इससे पहले एनडीआरएफ और एसडीआरएफ ने बच्चे को सकुशल पिलर से निकालने में सफलता हासिल की थी. लगभग 24 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद बच्चे को सुरक्षित पिलर से निकालने में एनडीआरएफ-एसडीआरएफ द्वारा सफलता हासिल की गई थी. उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही रंजन की मौत हो गई.

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बता दें कि नासरीगंज-दाउदनगर बीच पुल में मासूम रंजन फंस गया था. पुल के पिलर में ड्रील मशीन से होल किया गया और बच्चे को सुरक्षित निकाला गया. बच्चे का नाम रंजन कुमार था. जो खिरिसांव पंचायत के खिरियांव गांव का रहने वाला है. बच्चे के पिता के मुताबिक उनका बेटा मानसिक रूप से अस्वस्थ था और वो दो दिनों से लापता था. जिसकी खोजबीन की जा रही थी.

रंजन को ले जाया गया अस्पताल

पिलर से सुरक्षित निकालकर रिंजन को तुरंत एनडीआरएफ की टीम अस्पताल लेकर रवाना हुई. इससे पहले टीम रंजन को लेकर अस्पताल पहुंचती की रास्ते में ही उसकी मौत हो गई थी. डॉक्टरों के द्वारा रंजन को अस्पताल पहुंचने पर मृत घोषित कर दिया गया. 

इससे पहले आज एनडीआरएफ और एसडीआरएफ टीम द्वारा पोकलेन मशीन से पुल का कुछ हिस्से को तोड़कर रंजन को बाहर निकाला गया. इससे पहले पुल के पिलर से बच्चे को बचाने के लिए रात से SDRF और स्थानीय प्रशासन जुटा हुआ था लेकिन देर रात NDRF की टीम भी मौके पर पहुंची. इतने प्रयासों के बाद भी रंजन की जिंदगी नहीं बचाई जा सकी.

बेहोशी की हालत में पिलर से निकाला गया रंजन

विदित हो कि बुधवार के दिन 12:00 बजे से ही अतिमि स्थित सोन नदी के ऊपर बने ओवर ब्रिज के पिलर के बीच में फंस गया था, चीखने चिल्लाने और रोने की आवाज सुनकर ग्रामीण और स्थानीय थाना तथा जिला प्रशासन मौके पर पहुंची थी. उक्त बालक खिरियाव गांव का शत्रुघ्न प्रसाद उर्फ भोला शाह का 12 वर्षीय पुत्र रंजन कुमार था जिसकी मानसिक स्थिति भी कमजोर थी. बुधवार की देर शाम मौके पर एसडीआरएफ की टीम पहुंची तथा देर रात एनडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंची. पहले तो सड़क तोड़ने की कोशिश शुरू हुई परंतु बाद में ड्रिल मशीन से पिलर में होल की गई उसके बाद भी बृहस्पतिवार के दोपहर तक रंजन कुमार को नहीं निकला जा सका. शाम 4:00 बजे के आसपास पिलर के बगल के हिस्से को तोड़ा गया उसके बाद बेहोशी की हालत में12 वर्षीय रंजन को निकाला गया.

तीस घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन

आनन फानन में अधिकारियों ने एंबुलेंस के सहारे रंजन कुमार को सासाराम सदर अस्पताल भेजा  जहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत्य घोषित कर दिया. बताते चलें कि रंजन कुमार को बचाने को लेकर युद्ध स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन की जा रही थी करीब तीस घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला. इस दौरान 40 से भी अधिक गैस सिलेंडर की बटल खत्म हो गई परंतु फिर भी रंजन कुमार जिंदगी का जंग हार गया. परिजनों ने  आरोप लगाया कि अगर समय रहते रेस्क्यू ऑपरेशन कर पिलर के बगल के हिस्से को तोड़ा गया होता तो शायद रंजन आज जिंदा होता. रेस्क्यू ऑपरेशन के समय पुल के पिलर के बगल के हिस्सा तोड़ते समय पुल के ऊपर का हिस्सा भी क्षतिग्रस्त हो गई है. इस वजह से प्रशासन ने पुल से गाड़ी आने जाने पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी है.

रिपोर्ट: मिथिलेश कुमार

HIGHLIGHTS

  • जिंदगी की जंग हार गया मासूम रंजन
  • अस्पताल ले जाते समय रास्ते में हुई मौत
  • परिजनों का आरोप, पहले ही हो चुकी थी रंजन की मौत

Source : News State Bihar Jharkhand

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