बिहार में शराबबंदी लागू किए करीब 7 साल हो गए, लेकिन कोई साल ऐसा नहीं रहा, जिसमें जहरीली शराब ने कहर ना बरपाया हो. कुछ दिनों पहले की बात करें तो छपरा में जहरीली शराब ने जो जानलेवा कहर ढाया था, उसे भुला पाना बेहद मुश्किल है. उसके बाद सीवान, गोपालगंज भी जहरीली शराब के कहर से नहीं बच पाया. साल 2016 में नीतीश सरकार ने बिहार में पूर्ण शराबबंदी का ऐलान किया था. उसी साल यानि 2016 में सरकारी आंकड़ों की माने तो 13 लोगों की जहरीली शराब से जान चली गई.
जनता से जानेंगे राय
सरकारी आंकड़े में सबसे ज्यादा साल 2021 में जहरीली शराब ने 90 लोगों की जिंदगी छीन ली और पिछले साल दिसंबर की बात करें तो छपरा के मशरक में हर तरफ मौत का मातम सुनाई दे रहा था. शराबबंदी का ये मॉडल कितना कारगर साबित हुआ, ये तो सरकार ही जाने, लेकिन अब इसी मॉडल को समझने के लिए छत्तीसगढ़ कांग्रेस की एक टीम बिहार का दौरा कर रही है. ये टीम अधिकारियों से मिलेगी, जनता के बीच जाएगी. सबकी राय जानेगी, फिर छत्तीसगढ़ कांग्रेस को रिपोर्ट सौंपेगी. फिर आगे क्या होगा, नहीं पता. क्योंकि कुछ वक्त पहले राजस्थान से भी शराबबंदी मॉडल समझने के लिए एक टीम बिहार आई थी. परिणाम शून्य रहा था.
9 विधायक और 5 अधिकारियों की टीम
आपको बता दें कि बिहार में शराबबंदी कानून की सफलता का जायजा लेने छत्तीसगढ़ से विधायक और अधिकारियों की टीम पटना पहुंची है. छत्तीसगढ़ से आयी इस टीम में 9 विधायक और 5 आबकारी विभाग के सचिव समेत अन्य पदाधिकारी शामिल हैं. ये टीम तीन दिनों के दौरे में पटना, वैशाली और नालंदा के इलाकों में घूम-घूम कर लोगों से संवाद करेगी और शराबबंदी कानून के असर को समझने की कोशिश करेगी. इस टीम की अगुवाई रायपुर से कांग्रेस विधायक सत्यनारायण शर्मा कर रहे हैं.
शराबबंदी के बाद जहरीली शराब से मौत
साल मौत का आंकड़ा
2016 13
2017 8
2018 9
2019 9
2020 6
2021 90
2022 67
HIGHLIGHTS
- पटना पहुंची छत्तीसगढ़ की उच्चस्तरीय टीम
- 9 विधायक और 5 अधिकारी शराबबंदी कानून का लेंगे जायजा
- 3 जिलों का करेंगे दौरा
Source : News State Bihar Jharkhand