बिहार में अगले साल चुनाव होने हैं...राजनीतिक दलों ने अपने-अपने तरीके से अब रणनीति बनानी शुरु कर दी है. लालू प्रसाद यादव (lalu yadav) के राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने अपने प्रदेश नेतृत्व को ही बदल दिया है. सामाजिक समीकरण और अनुभव का सामन्जस्य बैठाने वाले लालू प्रसाद के करीबी को आरजेडी का कमान मिला है. इस बार लालू प्रसाद ने फॉरवर्ड कार्ड खेलते हुए जगदानंद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. जगदानंद सिंह राजपूत जाति से आते हैं.
लालू प्रसाद यादव हमेशा से माई समीकरण यानि मुस्लिम और यादव वोट बैंक की राजनीति करते रहे. वक़्त बदला तो पिछड़ी जातियों को भी जोड़ने की कोशिश रही. 2010 के बाद आरजेडी की कमान अब्दुल बारी सिद्दिकी और फिर रामचंद्र पुर्वे ने संभाली. लेकिन इस बार उन्होंने जगदानंद को आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष बनाकर सिर्फ 4 से 5 प्रतिशत राजपूत वोट को नहीं निशाना बनाया है बल्कि सवर्णों को भी इस तीर से साधना चाहते हैं.
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इसके साथ ही जगदानंद सिंह की पकड़ मध्य बिहार के साथ किसानों के बीच अच्छी है. लालू यादव इनके जरिये उन्हें साधना चाहते हैं. जगदानंद जो लालू प्रसाद के शुरुआती दिन से काफी करीबी रहे अब नयी जिम्मेदारी पा कर आह्लादित हैं.
लालू प्रसाद यादव के परिवार का प्रतिनिधित्व यहां बड़े बेटे तेज प्रताप यादव कर रहे थे. तेज प्रताप यादव भी इस ताजपोशी से खुश थे. पिछ्ले प्रदेश अध्यक्ष रामचन्द्र पुर्वे से तेज की अनबन जग जाहिर है. इनके बीच की तनातनी की मध्यस्थता कई बार लालू यादव और राबड़ी देवी को करनी पड़ी थी.
अब तेज प्रताप भी खुश और नये सिरमौर का स्वागत वरिष्ठ नेताओं ने भी किया. लालू प्रसाद ने वोट बैंक अब बीजेपी की तोड़ने की कोशिश की है. पहले मुस्लिम और पिछड़ी जातियों को गोलबंद करने की कोशिश कर निशाने पर रहे नीतिश कुमार के वॉटर और अब ये बीजेपी के सवर्ण वोट में सेंधमारी.
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वहीं बीजेपी विधायक संजय सरावगी ने लालू प्रसाद यादव के इस कदम पर कहा कि ये सब कुछ काम नहीं आएगा. लालू प्रसाद का कोई वोट बैंक नहीं बचा है. नई पीढ़ी की बजाय लालू प्रसाद ने पुरानी पीढ़ी को ही कमान दी है.
तो अब देखना है की बिहार आरजेडी के नए सरदार अगले चुनाव तक क्या रंग दिखाते हैं.